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नैनीताल हाईकोर्ट: उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर सुनवाई बुधवार को, आरक्षण नियमावली के ‘कम्युनिकेशन गैप’ पर सवाल

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नैनीताल: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर लगी रोक को हटाने के संबंध में मंगलवार को राज्य सरकार ने नैनीताल हाईकोर्ट के समक्ष आज ही सुनवाई का अनुरोध किया। सरकार ने याचिका मेंशन करते हुए कहा कि 9 जून को बनाई गई नियमावली का गजट नोटिफिकेशन 14 जून को ही हो गया था।


सरकार ने बताया ‘कम्युनिकेशन गैप’

सरकार की तरफ से कहा गया कि “कम्युनिकेशन गैप” (संचार अंतराल) के कारण गजट नोटिफिकेशन को हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई के वक्त प्रस्तुत नहीं किया जा सका था। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इसमें क्या जल्दी है? पिछले एक साल से अधिक समय बीत चुका है, चुनाव नहीं कराए। कोर्ट ने इससे पहले कई बार चुनाव कराने के आदेश दिए थे। उसके बाद भी चुनाव नहीं कराए। अब इसमें क्या जल्दी है?


बुधवार को होगी सुनवाई, रोक बरकरार

आज सरकार की ओर से यह नोटिफिकेशन हाईकोर्ट के समक्ष पेश कर दिया गया है। नोटिफिकेशन पेश होने के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने पंचायत चुनाव संबंधी सभी याचिकाओं की सुनवाई हेतु 25 जून, बुधवार, अपराह्न 2 बजे का समय निर्धारित किया है। तब तक कोर्ट ने चुनावों पर लगी रोक को बरकरार रखा है। इस मामले में मंगलवार को दीपिका किरौला और अन्य की याचिकाएं भी सुनवाई को लगी थीं। हाईकोर्ट ने इन सभी की एक साथ सुनवाई का निर्णय लिया है।


आरक्षण नियमावली को मिली है चुनौती

मामले के अनुसार, बागेश्वर निवासी गणेश कांडपाल और अन्य ने राज्य सरकार द्वारा 9 जून और 11 जून को जारी नियमावली को हाईकोर्ट में याचिका दायर करके चुनौती दी थी।1 सरकार ने इस नियमावली में राज्य में अब तक के आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित कर दिया था और आरक्षण का नया रोस्टर जारी कर उसे पहली बार वर्तमान चुनाव से लागू माना था।

याचिकाकर्ता के मुताबिक, एक तरफ सरकार का यह नियम कोर्ट के पूर्व में जारी आदेश के खिलाफ है। दूसरा, पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा 126 के अनुसार, कोई भी नियम तभी प्रभावी माना जाएगा, जब उसका सरकारी गजट में प्रकाशन होगा। वहीं, एकलपीठ में भी करीब 15 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई हुई और उन मामलों को भी एकलपीठ ने खंडपीठ में सुनवाई के लिए भेज दिया है। अब इस बात को लेकर तरह-तरह की चर्चाएँ हैं कि 14 जून को गजट नोटिफिकेशन के होने के बाद भी सचिवालय सहित अन्य संस्थाओं को इसकी जानकारी क्यों नहीं थी?

यह मामला उत्तराखंड में पंचायत चुनावों की प्रक्रिया को और अधिक उलझा रहा है, और अब बुधवार की सुनवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं।


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