हिमालय प्रहरी

ऑपरेशन कालनेमि’ में फर्जी साधु-संतों की खुली पोल, न ज्ञान, न दस्तावेज फिर भी सार्वजनिक स्थलों पर कर रहे थे ढोंग

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राजू अनेजा,देहरादून।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त निर्देशों पर शुरू हुए ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के तहत फर्जी साधु-संतों के खिलाफ देहरादून पुलिस ने मोर्चा खोल दिया है। अभियान के पहले ही चरण में पुलिस ने अब तक 25 फर्जी साधु-संतों को गिरफ्तार किया है, जो धार्मिक चोला पहनकर जनता को गुमराह कर रहे थे।इनमें से अधिकांश लोग किसी भी प्रकार के धार्मिक, वैदिक या ज्योतिषीय ज्ञान से अंजान थे। पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि इन फर्जी बाबाओं के पास कोई वैध पहचान पत्र, पंजीकरण या धार्मिक संस्था से जुड़ाव का प्रमाण नहीं था। फिर भी ये लोग घाटों, मंदिरों, चौराहों और बस अड्डों जैसे सार्वजनिक स्थलों पर बैठकर आम जनता को ठगने और भ्रमित करने का प्रयास कर रहे थे।

BNS की धारा 170 के तहत दर्ज हुआ मुकदमा

इन सभी आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 170 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है, जो सरकारी पद या धार्मिक पहचान का झूठा प्रस्तुतिकरण करने से संबंधित है। पुलिस ने इनके पास से डंडे, भगवा वस्त्र, नकली रुद्राक्ष माला और कुछ नकदी भी बरामद की है।

एसएसपी की चेतावनी – “संत की आड़ में ठगी नहीं चलेगी”

देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) ने कहा कि

“ऑपरेशन कालनेमि का उद्देश्य उन असली संतों की गरिमा की रक्षा करना है, जो वास्तव में समाज की सेवा कर रहे हैं। जो लोग साधु के वेश में ठगी कर रहे हैं, उन्हें किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।”

जांच अभी जारी – अन्य जिलों में भी बढ़ेगी सख्ती

पुलिस का कहना है कि यह अभियान केवल देहरादून तक सीमित नहीं रहेगा। जल्द ही इसे हरिद्वार, ऋषिकेश और अन्य धार्मिक स्थलों पर भी तेज किया जाएगा, जहां फर्जी साधुओं का नेटवर्क सक्रिय बताया जा रहा है।


‘ऑपरेशन कालनेमि क्या है?

‘कालनेमि’ एक पौराणिक पात्र था जो साधु का वेश धारण कर छल करता था। इस ऑपरेशन को यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि यह धोखे की आड़ में धर्म का अपमान करने वालों को बेनकाब करने का अभियान है।


 

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