राजू अनेजा, रानीखेत। पंचायत चुनाव ड्यूटी से लौट रही महिला मतदान अधिकारी के साथ जो हुआ, वह न सिर्फ शर्मनाक है बल्कि सिस्टम पर करारा तमाचा भी है। सुरक्षा के नाम पर सरकारी दावे कैसे कागज़ी हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव ड्यूटी से लौट रही एक अधिकारी को बीच रास्ते जान बचाने के लिए चलती कार से कूदना पड़ा।
अकेली थी महिला अधिकारी, ली थी लिफ्ट – बन गया शिकारी का निशाना
24 जुलाई की शाम लगभग साढ़े छह बजे मल्ला डामर क्षेत्र में ड्यूटी खत्म होने के बाद महिला अधिकारी ताड़ीखेत जाने के लिए सड़क किनारे वाहन का इंतजार कर रही थीं। इसी बीच सफेद रंग की एक वैगन आर कार रुकी। चालक ने ताड़ीखेत छोड़ने की बात कहकर महिला से लिफ्ट दी – लेकिन कुछ ही मिनटों में हालात बदल गए।
कार बना दरिंदगी का अड्डा
चालक ने सुनसान जगह पर कार की रफ्तार बढ़ा दी और महिला के साथ अश्लील हरकतें शुरू कर दीं। जब महिला ने विरोध किया तो उसके साथ मारपीट की गई। हालात बेकाबू होते देख महिला ने जान जोखिम में डालते हुए चलती कार से छलांग लगा दी।
शोर सुन ग्रामीण दौड़े, आरोपी फरार
पीड़िता के चीखने पर पास के ग्रामीण वहां पहुंचे और महिला की मदद की। लेकिन इससे पहले कि पुलिस मौके पर पहुंचती, आरोपी फरार हो चुका था। कोतवाल अशोक धनखड़ ने बताया कि अज्ञात आरोपी के खिलाफ छेड़छाड़, मारपीट और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस उसे पकड़ने के लिए दबिश दे रही है।
प्रशासन और चुनाव आयोग पर सवाल
अब सबसे बड़ा सवाल – अकेली महिला कर्मियों को ड्यूटी के बाद घर लौटने के लिए क्या प्रशासन कोई इंतजाम नहीं करता? क्या सिर्फ ड्यूटी कराना ही सरकार की जिम्मेदारी है, सुरक्षा नहीं? चुनाव आयोग और जिला प्रशासन को इस मामले पर जवाब देना होगा।
अगर महिला अधिकारी चलती कार से न कूदती, तो अंजाम कितना भयावह होता – सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
यह सिर्फ एक मामला नहीं, बल्कि महिला कर्मचारियों की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलने वाला गंभीर संकेत है।