हिमालय प्रहरी

उत्तराखंड के नेताओं के लिए मनहूस साबित हो रहा है मार्च, इससे पहले पूर्व सीएम हरीश रावत और त्रिवेंद्र रावत भी मार्च इफेक्ट का हो चुके शिकार और अब प्रेम भी….. पढिए पूरी खबर

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राजू अनेजा, काशीपुर ।उत्तराखंड की राजनीति में मार्च का महीना अक्सर हलचल लाने साबित हो रहा है। यह तीसरा मौका है जब मार्च के महीने में ही राज्य की राजनीति में बड़े घटनाक्रम ने आकार लिया है। इससे पहले पूर्व सीएम हरीश रावत और त्रिवेंद्र रावत भी मार्च इफेक्ट का शिकार हो चुके हैं।

विदित है कि 18 मार्च 2016 को विधानसभा के बजट सत्र के आखिरी दिन तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस के विधायकों ने बगावत कर दी थी। बहुगुणा के साथ नौ विधायकों ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया था।

पार्टी में हुए इस विभाजन से तत्कालीन हरीश रावत सरकार पर संकट आ गया था और राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लागू हो गया था। वर्ष 2021 में भी नौ मार्च को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने इस्तीफा दे दिया था। गैरसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान अचानक उनसे इस्तीफा देने को कहा गया था।

इस साल भी बजट सत्र के दौरान उपजे विवाद के बाद रविवार 16 मार्च को कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है। प्रदेश की राजनीति में यह तीसरा घटनाक्रम है जो मार्च में घटित हुआ है।

 

 

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