रुद्रपुर: उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) के पुनरुत्थान की चर्चा तेज हो गई है। राज्य निर्माण आंदोलन की अग्रणी रही यह पार्टी अब हाशिए से लौटकर एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में अपनी जगह बनाने की कोशिश में है। हाल ही में रुद्रपुर की मलिक कॉलोनी में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक को इस बदलाव का प्रतीक माना जा रहा है।
दीपक चिराया का जुड़ना: नई ऊर्जा का संचार
इस बैठक का सबसे अहम क्षण तब आया जब रुद्रपुर के जाने-माने समाजसेवी दीपक चिराया ने उत्तराखंड क्रांति दल की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की। उनका यह कदम पार्टी के लिए एक नई ऊर्जा का संचार माना जा रहा है, जो यह दर्शाता है कि पार्टी अब समाज के नए तबके को भी आकर्षित कर रही है। चिराया ने संकल्प लिया है कि वे “उत्तराखंड राज्य की परिकल्पना के अनुरूप कार्य करेंगे।”
बैठक में केंद्रीय महामंत्री सुशील उनियाल, केंद्रीय संगठन मंत्री भवन बिष्ट और वरिष्ठ नेता हरीश पाठक व प्रमोद सती भी मौजूद रहे। इस दौरान राज्य के ज्वलंत मुद्दों जैसे पलायन, बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा पर गंभीर मंथन किया गया, जो यह संकेत देता है कि उक्रांद एक बार फिर जनता की समस्याओं को अपना मुख्य एजेंडा बनाने की तैयारी में है।
2027 के लिए नई रणनीति
बैठक में यह भी तय हुआ कि जल्द ही रुद्रपुर में एक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इसके बाद, रामनगर में होने वाले प्रदेश स्तरीय सम्मेलन में पूरे राज्य के कार्यकर्ता और नेता जुटेंगे, जहाँ 2027 के चुनावों के लिए ठोस रणनीति और रोडमैप पर विचार किया जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि उक्रांद अपनी जड़ों से फिर से जुड़कर एक “तीसरा विकल्प” बनकर उभरता है, तो यह 2027 के चुनावों में आश्चर्यजनक परिणाम दे सकता है।
उधमसिंह नगर में उक्रांद की यह नई सक्रियता यह उम्मीद जगा रही है कि राज्य के मूल उद्देश्यों और क्षेत्रीय मुद्दों को अब फिर से प्रमुखता मिलेगी। यह पुनरुत्थान केवल एक दल का नहीं, बल्कि उस स्वप्न का पुनर्जीवन है, जिसके लिए उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई थी।
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