देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों के प्रधानाचार्यों की सीधी भर्ती को लेकर शिक्षकों का विरोध लगातार जारी है। अब उन्होंने अपना विरोध जताने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया है। शिक्षक अपने खून से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस भर्ती को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, राज्य के 1385 सरकारी इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य के खाली पदों में से 50% पर सीधी भर्ती के लिए लोक सेवा आयोग ने दोबारा आवेदन मांगे हैं। इस भर्ती में एलटी शिक्षकों को भी शामिल किया गया है, जिसका शिक्षक विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रधानाचार्य के 100% पदों को पदोन्नति (प्रमोशन) के माध्यम से ही भरा जाना चाहिए। पिछले साल भी शिक्षकों के विरोध के बाद यह भर्ती स्थगित कर दी गई थी।
हाईकोर्ट में 25 सितंबर को सुनवाई, शिक्षक कर रहे नाइंसाफी का आरोप
राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम सिंह चौहान ने बताया कि इस मामले को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में 25 सितंबर को सुनवाई होनी है। इसके बाद ही आगे की रणनीति तय की जाएगी। शिक्षकों का आरोप है कि सीधी भर्ती से उनकी वरिष्ठता (seniority) प्रभावित होगी, और यह उनके साथ नाइंसाफी है।
हाईकोर्ट के निर्देश पर माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने प्रवक्ता और एलटी शिक्षकों की तीन वरिष्ठता सूची बनाई है, जिसे 24 सितंबर तक हाईकोर्ट में सौंपा जाएगा। इस बीच, शिक्षक अपने विरोध को जारी रखते हुए सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
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