
निजी अस्पतालों से मंगाए डॉक्टर और लाइफ सपोर्ट वैन
राजू अनेजा,हल्द्वानी।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के 3 और 4 नवंबर के कुमाऊं दौरे ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की वास्तविक तस्वीर सामने ला दी है। राष्ट्रपति की इमरजेंसी मेडिकल ड्यूटी के लिए स्वास्थ्य विभाग को पूरे कुमाऊं मंडल में एक भी कार्डियक सर्जन (हृदय रोग विशेषज्ञ) नहीं मिला।
मजबूरन विभाग को निजी अस्पतालों के भरोसे रहना पड़ा। हल्द्वानी के दो प्राइवेट अस्पतालों से एक कार्डियोलॉजिस्ट और दो एडवांस लाइफ सपोर्ट वैन (ALS) मंगवानी पड़ीं। यह हाल उस राज्य का है जो “स्वस्थ उत्तराखंड” का दावा करता है।
मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक भले ही सरकारी अस्पतालों को एम्स जैसी सुविधाओं से लैस करने के वादे करें, लेकिन सच्चाई यह है कि कुमाऊं के छहों जिलों — नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, बागेश्वर, चंपावत, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ — में किसी भी सरकारी अस्पताल में कार्डियक सर्जन की तैनाती नहीं है।
निजी अस्पतालों से मांगी मदद: सीएमओ पंत
नैनीताल के सीएमओ डॉ. हरीश पंत ने बताया कि राष्ट्रपति के दौरे के दौरान गरमपानी, भवाली, एसटीएच हल्द्वानी और बृजलाल अस्पताल को सेफ हाउस घोषित किया गया है।
इन अस्पतालों में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
राष्ट्रपति की मेडिकल ड्यूटी के लिए
- डॉ. सुधांशु (डीआईसी, बीडी पांडे अस्पताल, नैनीताल)
- डॉ. चंदन (डीएम कार्डियोलॉजी, चंदन सुपर स्पेशियलिटी, हल्द्वानी)
को तैनात किया गया है।
हल्द्वानी के चंदन और बृजलाल अस्पतालों से दो एडवांस लाइफ सपोर्ट वैन भी मंगाई गई हैं।
इन वैनों में वेंटीलेटर, डिफीब्रीलेटर, ईसीजी मॉनीटर जैसे सभी अत्याधुनिक उपकरण लगे हैं।
राष्ट्रपति का ब्लड ग्रुप “O पॉजिटिव” है, जिसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने पहले से ब्लड रिजर्व तैयार रखा है।
राष्ट्रपति की मेडिकल टीम के मानक
- मुख्य चिकित्सक: एमबीबीएस, एमडी (जनरल मेडिसिन), कम से कम 15 वर्ष का अनुभव।
- हृदय रोग विशेषज्ञ: एमबीबीएस, एमडी (जनरल मेडिसिन), डीएम (कार्डियोलॉजी) और 10 वर्ष से अधिक अनुभव।
- अतिरिक्त विशेषज्ञ: एक एनेस्थेटिस्ट, एक आईसीयू डॉक्टर, एक मेडिकल ऑफिसर और दो प्रशिक्षित नर्स / पैरामेडिक।
- 24×7 मेडिकल कवर: राष्ट्रपति भवन व यात्रा स्थल पर डिफीब्रीलेटर, ईसीजी मॉनीटर, वेंटिलेटर से लैस एंबुलेंस और मेडिकल वैन हमेशा तत्पर।
- हेलीकॉप्टर से इमरजेंसी निकासी की सुविधा।
35 लाख की वैन भी निजी हाथों से ली उधार
हल्द्वानी के चंदन अस्पताल की एडवांस लाइफ सपोर्ट वैन, जिसकी कीमत करीब ₹35 लाख बताई जा रही है, राष्ट्रपति की ड्यूटी में लगाई गई है।
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में ऐसी एक भी वैन उपलब्ध नहीं है।
कहानी का सार
राष्ट्रपति की सुरक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था जैसे सर्वोच्च प्रोटोकॉल ने यह साबित कर दिया है कि उत्तराखंड में “कागजों पर सुपर स्पेशियलिटी” और “जमीनी हकीकत” के बीच गहरी खाई है।
कुमाऊं की जनता भले ही रोजमर्रा की बीमारियों से जूझती रहे, लेकिन वीवीआईपी ड्यूटी के लिए भी जब निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़े — तो यह सवाल जरूर उठता है कि आखिर “स्वस्थ उत्तराखंड” के नारे का असली मतलब क्या है?
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