आजादी के बाद और पंचायती राज एक्ट बनने के बाद से अभी तक इस गांव में प्रधान का चुनाव नहीं हुआ है। हालांकि पिछले साल दो उम्मीदवार सामने थे, तब भी ग्रामीणों ने तय किया कि कुछ भी हो चुनाव नहीं करेंगे। ऐसे में टॉस उछालकर ग्राम प्रधान चुन लिया गया और चुनाव का लाखों का खर्च ग्रामीणों ने बचाया। इसी परंपरा को उन्होंने आगे बढ़ाने का भी निर्णय लिया।
इस गांव में क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जरूर होता है, लेकिन गांव की सरकार ग्रामीण सर्वसम्मति से ही चुनते हैं। पूर्व ग्राम प्रधान गीता मेहरा, नंदन सिंह ने बताया कि पंचायत चुनाव में गांव का माहौल अच्छा बना रहे, इसके लिए प्रधान का चयन गांव के ग्रामीण सर्वसम्मति से ही तय करते हैं। पिछले वर्ष जरूर दो उम्मीदवार थे, लिहाजा तय किया गया कि ऐसी में भी चुनाव नहीं होगा और टॉस करा प्रधान चुन लिया जाएगा। आगे भी ऐसा हुआ, तो चुनाव न करा इसी परंपरा को आगे बढ़ाया जाएगा।
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