महक ने बताया कि उसके पापा की मौत के बाद उसकी मम्मी ने दूसरी शादी कर ली थी। लेकिन सौतेले पापा का व्यवहार ठीक नहीं था, इसलिए वह काशीपुर में अपनी नानी के पास रहने चली गई। वहां उसका चचेरा भाई जबरदस्ती निकाह करना चाहता था लेकिन महक इसके लिए तैयार नहीं थी। जब किसी ने उसकी बात नहीं सुनी, तो उसने ऋषि को सब कुछ बताया और फिर वह बरेली आ गई। बरेली पहुंचकर दोनों अगस्त्य मुनि आश्रम गए और वहां आचार्य केके शंखधर से मिले। आचार्य जी ने दोनों की उम्र और पहचान की जांच की। इसके बाद उन्होंने महक का शुद्धिकरण करवाया और फिर हिंदू रीति-रिवाज से दोनों की शादी करवा दी।
महक ने कहा कि उसे इस्लाम मत के नियम जैसे हिजाब पहनना, एक से ज्यादा शादियां करना और हलाला जैसी बातें ठीक नहीं लगतीं। उसे हिंदू धर्म में सम्मान और सुरक्षा महसूस होती है, इसलिए उसने अपनी इच्छा से धर्म बदला है। महक ने यह भी कहा कि वह ऋषि के साथ सुरक्षित महसूस करती है। अब वे दोनों एक साथ रहना चाहते हैं।
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