गीजर फटने से पेपर मिल के मैनेजर की मौत, बाथरूम में 20 मिनट तक तड़पते रहे अजीत
सहारनपुर : पेपर मिल के प्रोडक्शन मैनेजर अजीत की करीब 20 मिनट तक मौत से जंग हुई। बाथरूम में इस जद्दोजहद के निशान मिले हैं। बाथरूम में अजीत उल्टे पड़े हुए थे। दरवाजे पर भी नाखूनों के निशान थे। माना जा रहा है कि दम घुटने पर अजीत ने दरवाजा खोलने का प्रयास किया।
गीजर के फटने से बाथरूम की छत और दीवार काली पड़ी हुई थी। गीजर से एक साथ ही पूरी गैस निकल गई, जिससे अजीत का बाथरूम के अंदर ही दम घुट गया। बाथरूम के पीछे की तरफ रोशनदान जरूर बना हुआ था, लेकिन उसकी जाली पूरी तरह से बंद थी। जाली को उखाड़ कर ही बाथरूम के अंदर देखा जा सका।
सभी सदस्य थे घर में मौजूद
राशि सिंघल का कहना है कि परिवार के सभी सदस्य उस समय घर पर मौजूद थे। मां निर्मला सिंघल नहाने के लिए अजीत का बाथरूम से निकलने का इंतजार कर रही थीं। अमूमन अजीत बाथरूम में 10 से 15 मिनट लगाते थे। इसलिए निर्मला ने 20 मिनट बाद ही अजीत को बाहर निकलने के लिए आवाज दी। राशि का कहना है कि बाथरूम से आवाज आती तो समय रहते दरवाजा तोड़कर अजीत को बचा लेते। हादसे की सूचना पर पुलिस भी मौके पर पहुंची। स्वजन ने शव का पोस्टमार्टम कराने से इन्कार कर दिया।
निर्मला ने बताया कि बाथरूम में गीजर छह साल पहले लगवाए थे। 20 दिन पहले यह खराब हुआ था। उस समय मिस्त्री बुलाकर सर्विस करा ली थी। चार दिन पहले भी गीजर खराब हुआ था। तब भी मिस्त्री बुलाकर सही करा दिया। अचानक गीजर का फट जाना समझ से परे है। माना जा रहा है कि मिस्त्री की लापरवाही से हादसा हुआ है। निर्मला का कहना है कि यदि गीजर बदलवा लेते तो शायद हादसा न होता। मुंबई से भाई के लौटने पर होगा अंतिम संस्कार अजीत के भाई अजय सिंघल मुंबई में नौकरी करते हैं।
गीजर की पीसीबी थी खराब
सरस्वती लोक के बाहर दुकान करने वाले गीजर मिस्त्री अंकुर गोयल ने बताया कि गीजर की पीसीबी खराब थी। पीसीबी (प्रिंटेड सर्किट बोर्ड) से ही गीजर में करंट प्रवाहित होता है। उन्होंने पीसीबी बदली थी। गैस रिसाव कैसे हुआ, इसका उन्हें नहीं पता।
हवादार स्थान पर ही रखें गीजर, अंगीठी और हीटर
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे हादसों से बचाव के लिए सबसे पहले कमरे में वेंटीलेशन का ध्यान रखना चाहिए। सांस रोग विशेषज्ञ डा. वीरोत्तम तोमर का कहना है कि अंगीठी, हीटर और ब्लोअर के प्रयोग में हमेशा विशेष सावधानी रखनी चाहिए।
- कमरे में वेंटीलेशन जरूर होना चाहिए।
- अंगीठी, हीटर और ब्लोअर के आगे भगोने या परात जैसे बर्तन में पानी भरकर रख देना चाहिए, जिससे कमरे में आर्द्रता बनी रहे।
- अंगीठी के इस्तेमाल में और अधिक सावधानी रखने की जरूरत है। इससे कमरे में कार्बनडाइआक्साड और कार्बन मोनोआक्साइड बनती है।
- कार्बन मोनोआक्साइड सोते समय चुपचाप असर करती है और व्यक्ति बेहोश हो जाता है।
- इसके बाद सांस रुक जाती है। इस मौसम में सांस के रोगियों को थोड़ी परेशानी होने पर भी अपने डाक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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