तो क्या सत्ता में कमजोर हो रही है हल्द्वानी के भाजपाइयों की पकड़
अपनी मांग मनवाने के लिए सत्ता पक्ष को करना पड़ा साढ़े 10 घंटे का प्रदर्शन
हल्द्वानी: अक्सर देखा गया है कि हमेशा विपक्ष अपनी मांगों को मंगवाने के लिए शासन व प्रशासन के खिलाफ आंदोलन की राह चुनता है जबकि सत्ता पक्ष के लोग शासन प्रशासन के साथ खड़े रहते हैं। लेकिन सोमवार की रात हल्द्वानी में राजनीति की एक नई परिपाटी ने जन्म लिया। जब सत्ता पक्ष के लोग हल्द्वानी कोतवाली में कोतवाल को हटाने के लिए साढ़े दस घंटे तक धरने पर बैठे रहे। रोचक बात है कि इस बार विपक्ष पुलिस के पक्ष में खड़ा दिखाई दिया।
दरअसल सोमवार को हल्द्वानी पुलिस ने महानगर के एक भाजपा समर्पित पार्षद तन्मय रावत को हिरासत में ले लिया था। जिसके बाद मेयर व तीन दर्जन मंत्रियों के नेतृत्व में भाजपा के दर्जनों कार्यकर्ता कोतवाली में धरने में बैठ गए। अपराहन तीन बजे से रात के डेढ़ बजे तक चले हाईप्रोफाइल ड्रामे के बाद पुलिस अधिकारियों ने कोतवाल को पुलिस लाइन से अटैच कर पार्षद को कोतवाली से ही जमानत देकर रिहा कर दिया गया। जिसके बाद भाजपाई ने अपना धरना प्रदर्शन समाप्त कर दिया। इधर विपक्षी पार्षद व जनप्रतिनिधि भाजपाइयों के इस आंदोलन को राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं। उनका कहना है कि सत्ता पक्ष के इस तरह के प्रदर्शन से पुलिस का मनोबल गिरेगा।
फोन से होने वाले काम के लिए साढ़े 10 घंटे का हंगामा
हल्द्वानी। हल्द्वानी कोतवाल को हटाने के लिए महानगर के मेयर व तीन दर्जा राज्यमंत्री समेत दर्जनों ऊंची पहुंच रखने वाले भाजपा नेताओं को कोतवाली में साढे दस घंटा प्रदर्शन करना पड़ा।
स्पष्ट है कि या तो क्षेत्र के भाजपा नेताओं की सत्ता में पकड़ कमजोर है या पुलिस व प्रशासन सत्ता धारियों पर हावी है। या फिर पुलिस अधिकारी पार्षद की गिरफ्तारी के निर्णय को सही मान रहे थे। वरना भाजपा के वरिष्ठ जनप्रतिनिधि इस कार्य को फोन करके भी निपटा सकते थे। कारण जो भी हो लेकिन हल्द्वानी में भाजपाइयों द्वारा किया गया प्रदर्शन पूरे प्रदेश में चर्चाओं का विषय बना है।
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