पलायन रोकने के उद्देश्य से बने राज्य से उद्योग हो रहे पलायन
लालकुआं: सोचा था अलग राज्य बनेगा तो अपने संसाधनों के बूते सूबे में उद्योग लगेंगे और पहाड़ से पलायन पर विराम लगेगा। लेकिन राज्य बनने के 19 वर्षो के बाद स्थितियां ठीक उलट है। युवाओं का पलायन रुकने के बजाय सरकारी तंत्र व जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के कारण उद्योगों का ही पलायन हो रहा है। रोजगार देंगे, पलायन रोकेंगे जैसे नारे सत्ता की सीढ़ी चढऩे का माध्यम बन कर रह गए है। लगातार बंद होते उद्योग व पहाड़ से पलायन करते युवा राज्य स्थापना की परिकल्पना पर चोट कर रही है।
बात करें अगर नैनीताल जनपद की तो सबसे पहले ध्यान जाता है रानीबाग में स्थापित एचसमटी फैक्ट्री की। 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व0 राजीव गांधी व केंदीय मंत्री एनडी तिवारी ने पहाड़ की तलहटी में एसएमटी फैक्ट्री का शुभारम्भ किया। जिसके पीछे पहाड़ से पलायन कर रहे युवाओं को रोजगार देना था। लेकिन जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की लापरवाही के कारण आज फैक्ट्री बंद हो चुकी है। इसके अलावा गांधी जयंति के दिन दो अक्टूबर 1982 को स्वरोजगार व क्षेत्र के विकास के उद्देश्य से केंद्रीय मंत्री एनडी तिवारी व उत्तर प्रदेश सरकार में सहकारिता मंत्री बच्चा पाठक ने 36 एकड़ भूमि में हल्दूचौड़ में सोयाबीन फैक्ट्री की अधारशीला रखी। जिसमें सोयाबीन से घी, रिफाइंड, बड़ी, पशुआहार समेत अन्य उत्पाद बनाने के लिए करोड़ो रूपये के उपकरण लगाये गये। परन्तु स्थापना के बाद सरकार व अधिकारियों ने इसकी तरफ आंखें मूंद दी। और सोयाबीन की अनुपलब्धता का बहाना कर जून 1996 में फैक्ट्री को बंद कर दिया गया। सहकारिया क्षेत्र से जुड़ी उक्त फैक्ट्री से हजारों किसानों के अलावा सैंकड़ों किसान जुड़े हुए थे। आज फैक्ट्री में करोड़ो रूपये की विदेशी मशीनें जंग खाकर बेकार हो रही है। इधर 1989 में हल्दूचौड़ के बेरीपड़ाव में खुली पोलिस्टर फिल्म बनाने वाली जलपैक इंडिया फैक्ट्री 22 अगस्त 2014 को बंद हो गई। जिसके दौ सौ से ज्यादा कर्मचारी आज भी अपनी सैलरी व अन्य भत्तों के लिए दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। इसके अलावा भीमताल स्थित हिलट्रोन कम्पनी, कुमाऊँ मंडल विकास निगम द्वारा संचालित केबल फैक्ट्री समेत कई उद्योग जनप्रतिनिधियों की लापरवाही से अंतिम सांसे गिन रहे है। ऐसे में राज्य निमार्ण के उद्देश्य धराशाही हो रहे है, और रोजगार की आस में राज्य आंदोलन में कूदे युवा अपने को ठगा महसूस कर रहे है।


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