मुख्यमंत्री, मंत्री व विधायको को दिल्ली बुलाने की चर्चा ने बढ़ाई प्रदेश की राजनैतिक बेचैनी
देहरादुन: प्रदेश की राजनीति में रविवार को सियासी हलचल बरकरार है। शनिवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और बीजेपी महासचिव दुष्यंत गौतम ने ऑब्जर्वर के रूप में देहरादून में आकर कोर कमेटी की बैठक ली। देर रात उनके दिल्ली वापस लौटने के बाद अटकलों का बाजार कुछ कम हुवा लेकिन रविवार का सूरज ढलते ढलते प्रदेश की राजनीति का पारा गर्म होने लगा। राजनीति गलियारों में चर्चा आम हो गई कि विधायको और मंत्रियों को दिल्ली बुलाया गया है। देर रात तक राजनेता एक दूसरे को फोन कर यथास्थिति की जानकारी ले रहे थे।
बता दे कि शनिवार को उत्तराखंड विधानसभा में एक मार्च से बजट सत्र शुरू हुआ था। जिसे 10 मार्च तक चलना था। लेकिन शनिवार को अचानक विधानसभा की कार्यवाही को तय वक्त से पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। और पूरा सत्ता पक्ष देहरादून पहुच गया। इस दौरान छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और बीजेपी महासचिव दुष्यंत गौतम ने भाजपा कोर कमेटी की बैठक ली। बैठक के बाद वह सीधे दिल्ली चले गए। और रात होते होते दिन भर से चल रही ऐसी चर्चाओं का शोरगुल शांत हो गया। इधर रविवार को जैसे-जैसे सूरज ढलने लगा एक बार फिर सियासी गलियारों का तापमान बढ़ने लगा। चर्चा होने लगी कि हाईकमान ने मुख्यमंत्री समेत तमाम मंत्रियों को दिल्ली बुला लिया है। देर रात तक भाजपा जनप्रतिनिधि व कार्यकर्ता एक दूसरे को फोन कर चर्चाओं के बारे में जानकारी ले रहे थे। हिमालय संवादाता द्वारा तमाम मंत्रियों विधायकों से संपर्क साधने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो पाया। सूत्रों से पता चला है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक चमोली जिले के विधायक महेंद्र भट्ट, घनसाली के विधायक शक्तिलाल शाह, द्वाराहाट के विधायक महेश नेगी, टिहरी के विधायक धन सिंह नेगी समेत गढ़वाल मंडल के कई विधायक मौजूद है। जबकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत देहरादून में है। जबकि विधायक दीवान सिंह बिष्ट व नवीन दुम्का भी देहरादून में ही मौजूद है। कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य, राज्य मंत्री रेखा आर्य व विधायक संजीव आर्य से संपर्क नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा विधानसभा उपाध्यक्ष व विधायक अल्मोड़ा रघुनाथ सिंह चौहान अल्मोड़ा में ही है। कुल मिलाकर राजनीतिक गलियारों का तापमान चरम पर है। प्रदेश का राजनीतिक भविष्य जो भी हो लेकिन राजनेताओं के लिए रविवार की रात काफी लंबी बीतने वाली है।


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