महा कुंभ और कुंभ में क्या अंतर होता है? यहां जान लें जवाब

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प्रयागराज में 13 जनवरी से सबसे बड़े धार्मिक संगम महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है, जो 26 फरवरी तक जारी रहेगा। महाकुंभ मेले में भारत समेत दुनियाभर से करोड़ों लोग शामिल होने पहुंचे हैं।

घाटों पर भारी भीड़ है और श्रद्धालुओं में खूब उत्साह देखा जा रहा है।

गौरतलब है कि भारत की आध्यात्मिक विरासत ऐसे अनुष्ठानों और उत्सवों में डूबी हुई है, जिनमें भक्ति, संस्कृति और समुदाय का मिश्रण है। वहीं, इसकी सबसे प्रमुख परंपराओं में कुंभ मेला और महाकुंभ मेला शामिल हैं, ये दो आयोजन दुनिया भर से लाखों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करते हैं। लेकिन क्या आप कुंभ और महाकुंभ के बीच का अंतर जानते हैं? अगर नहीं, तो यहां हम आपको इसी सवाल का जवाब देने वाले हैं। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से-

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कुंभ

सबसे पहले बात कुंभ की करें, तो कुंभ मेला हर चार साल में एक बार लगता है और भारत के चार पवित्र स्थानों के बीच घूमता है। ये चार स्थान प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक हैं।

हर चार साल में एक बार प्रयागराज में गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों का संगम के पास, हरिद्वार में गंगा के किनारे, उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे और फिर नासिक में गोदावरी नदी पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।

वहीं, कुंभ मेला कब कहां लगेगा, ये खगोलीय गणना के आधार पर तय होता है। विष्णु पुराण में इस बात का उल्लेख है कि-

  1. जब गुरु कुंभ राशि में प्रवेश करता है और सूर्य मेष राशि में होता है, तब हरिद्वार में कुंभ का आयोजन किया जाता है।
  2. जब सूर्य और गुरु सिंह राशि में होते हैं, तो नासिक में कुंभ लगता है।
  3. जब गुरु कुंभ राशि में प्रवेश करता है, तब उज्जैन में कुंभ का आयोजन किया जाता है।
  4. वहीं, प्रयागराज में माघ अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में होते हैं और गुरु मेष राशि में होता है।
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इन चार जगह पर ही क्यों होता है कुंभ मेले का आयोजन?

सनातन धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के युद्ध के दौरान पृथ्वी के चार स्थानों पर अमृत की कुछ बूंदें गिरी थीं। ये चार स्थान प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक ही थे। इसीलिए इन्हीं चार जगहों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।

महाकुंभ

अब बात महाकुंभ की करें, तो ये एक दुर्लभ आयोजन है, जो 12 पूर्ण कुंभ के बाद यानी 144 साल बाद आता है और केवल प्रयागराज में ही लगता है।

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आसान भाषा में समझें तो प्रयागराज में हर 12 साल में पूर्ण कुंभ मेला लगता है। जब 11 पूर्ण कुंभ हो जाते हैं तब 12वें पूर्ण कुंभ को महाकुंभ कहा जाता है, जो 144 साल में एक बार लगता है। इसके चलते इसे ‘भव्य कुंभ’ भी कहा जाता है। यानी साल 2025 में लगने वाला महाकुंभ 144 सालों बाद आया है, यही वजह है कि इसे बेहद खास माना जा रहा है। ये संक्रांति यानी 13 जनवरी, 2025 से शुरू होकर 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होगा।