23 अक्टूबर की रात इस विधि से करें काली पूजा, सिर्फ 51 मिनिट का है शुभ मुहूर्त
धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को जहां पूरे देश में नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है, वहीं बंगाल में इसे काली चौदस कहा जाता है।
इस दिन वहां देवी काली की पूजा विशेष रूप से की जाती है। काली चौदस से कईं परंपराएं और मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। ये बंगाल के प्रमुख त्योहारो में से एक है। आगे जानिए काली चौदस की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व व अन्य खास बातें.
काली चौदस के शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि 23 अक्टूबर, रविवार को शाम 06:03 से शुरू होगी, जो 24 अक्टूबर 2022, सोमवार की शाम 05:27 तक रहेगी। काली चौदस पर मां काली की पूजा रात में ही की जाती है, इसलिए देवी की उपासना 23 अक्टूबर की रात को ही की जाएगी। रात्रि पूजा मुहूर्त 11:46 से 12:37 तक यानी कुल 51 मिनट का रहेगा।
इस विधि से करें काली चौदस पूजा
– 23 अक्टूबर, रविवार की रात पूजा मुहूर्त से पहले स्नान आदि करें और मां काली की मूर्ति की स्थापना एक चौकी पर करें। सबसे पहले सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
– इसके बाद मां काली को हल्दी, कुमकुम, अबीर, रोली, चावल आदि चीजें चढ़ाएं। मनोकामना की पूर्ति के लिए 9 नींबूओं की माला बनाकर चढ़ाएं। देवी को गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाएं और नीचे लिखे मंत्र का जाप करें-
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
– इसके बाद मां काली की आरती करें और परेशानियों से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें-
देवी काली की आरती (Kali Chaudas Aarti)
कालरात्रि जय-जय-महाकाली। काल के मुंह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें। महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि माँ तेरी जय॥