उत्तराखंड में 230 नए पुलों का होगा निर्माण, आपदा से सबक लेकर डिज़ाइन में शामिल की गई ‘आपदारोधी तकनीक’

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देहरादून: पिछले कुछ वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं से हुई भारी तबाही, खासकर 38 पुलों को पहुंचे नुकसान से सबक लेते हुए उत्तराखंड सरकार ने राज्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का फैसला किया है। लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) ने अब बाढ़, भूकंप और भूस्खलन जैसी आपदाओं को ध्यान में रखते हुए 230 नए पुलों का डिज़ाइन तैयार किया है, जिन्हें अधिक मजबूत, सुरक्षित और टिकाऊ बनाया जाएगा।


 

B-श्रेणी के पुलों को A-श्रेणी में बदला जाएगा

 

राज्य में एडीबी (ADB) के सहयोग से एक महत्वपूर्ण परियोजना पर काम चल रहा है, जिसके तहत 230 बी-श्रेणी के पुलों को ए-श्रेणी में बदला जाएगा। इस परियोजना की कुल लागत 1640 करोड़ रुपये है, जिसमें 80% फंडिंग एडीबी और 20% राज्य सरकार द्वारा वहन की जाएगी।

  • वर्तमान स्थिति: राज्य में कुल लगभग 2000 पुल हैं।
  • श्रेणी अंतर: बी श्रेणी के पुलों की भार क्षमता 50-55 टन है, जबकि ए श्रेणी के पुलों की भार क्षमता 70 टन तक होगी।
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लोनिवि के विभागाध्यक्ष राजेश शर्मा ने बताया कि नवीनतम आपदारोधी तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है और हाई-फ्लड लेवल डिज़ाइन के आधार पर पुल की अधिकतम ऊँचाई तय की जा रही है, जो पुलों को लंबी उम्र और सुरक्षा देगी।


 

नए पुलों की डिज़ाइन में शामिल प्रमुख तकनीकें

 

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आपदाओं से मिले अनुभवों के बाद नए पुलों के निर्माण में अत्याधुनिक इंजीनियरिंग तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है:

तकनीक उद्देश्य
हाई-फ्लड लेवल डिज़ाइन 100 साल के अधिकतम बाढ़ स्तर को ध्यान में रखकर पुलों को ऊँचा बनाया जाएगा, जिससे बाढ़ के दौरान वे पानी का अधिकतम दबाव सह सकें।
फ्लेक्सी-फाउंडेशन और सिस्मिक आइसोलेशन बेयरिंग्स यह तकनीक पुलों को लचीला बनाएगी, जिससे भूकंप के दौरान उनके टूटने का खतरा कम होगा।
राक एंकरिंग स्टील राड और कंक्रीट का उपयोग करके चट्टानों को मजबूती से बांधा जाएगा, जिससे पुल की नींव मजबूत होगी।
फाइबर रिइनफोर्स्ड पालिमर (FRP) और हाई-डेंसिटी स्टील यह सामग्री पुल की भार वहन क्षमता बढ़ाएगी और जंग से बचाकर उसकी उम्र दोगुनी करेगी।
शाक एब्जार्बर पुल के जोड़ों पर विशेष शॉक एब्जॉर्बर लगाए जाएंगे, जो भूकंप और तेज झटकों से पुल को सुरक्षित रखेंगे।
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उत्तराखंड इस नई पहल में गुजरात, बिहार और केरल जैसे राज्यों से भी प्रेरणा ले रहा है, जिन्होंने क्रमशः गहरी नींव, ऊँचे पिलर-लंबे स्पैन डिज़ाइन, और जंगरोधी स्टील का प्रयोग कर अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है।

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