राहुल गांधी तीन दिन के अमेरिका दौरे पर गए हुए हैं. पहली बार वो विपक्ष के नेता के तौर पर विदेश यात्रा पर निकले हैं. अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में उन्होंने प्रवासी भारतीयों से मुलाकात की.
यहां उनका संबोधन था. राहुल गांधी ने अपने संबोधन में जाति, धर्म, भाषा, परंपरा और संविधान को खतरे में बताने के अलावा चीन की खूब तारीफ की. यही नहीं चीन की तारीफ करते करते उन्होंने कहा कि भारत के स्किलफुल युवाओं की इज्जत नहीं है.
राहुल की फॉरेन पॉलिसी एकदम क्लियर है. किसी भी देश में रहें, लेकिन भारत में हालात खराब बताना है. यकीन ना हो तो उनके विदेश दौरों की लिस्ट उठाकर देख लीजिए.
- 2017 में उन्होंने अमेरिका दौरे पर कहा था ‘भारत को कुछ ताकतें बांट रही हैं.’
- 2018 में बहरीन दौर पर कहा था कि ‘भारत मुश्किल दौर से गुजर रहा है’
- 2018 में ही सिंगापुर दौर पर कहा था ‘भारत में आजादी खतरे में है’
- 2023 में लंदन में कहा था ‘भारत में लोकतंत्र खतरे में है’, ‘विपक्ष की आवाज़ दबाई जा रही है.’
- 2023 में ही बेल्जियम दौरे पर कहा था कि ‘भारत में भेदभाव और हिंसा बढ़ गई है’
विपक्ष के नेता के तौर पर वो पहली बार अमेरिकी यात्रा पर हैं. राहुल की फॉरेन पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं आया है.
राहुल ने भर-भरकर की चीन की तारीफ
राहुल गांधी जिन लोगों के बीच संबोधन दे रहे थे, वो प्रवासी भारतीय थे. ये वो लोग हैं जो अपने देश से आए व्यक्ति से, मिट्टी से जुड़ी खबरें जानना चाहते हैं. यकीनन जब उन्होंने राहुल गांधी के विचार सुने होंगे, तो निराश हुए होंगे. वैसे राहुल गांधी के ये विचार, सत्ताधारी बीजेपी को भड़काने के लिए काफी थे. राहुल गांधी ने एक बार फिर से चीन की खूब तारीफें की और भारत को उसके मुकाबले बहुत कमतर बताया. खासकर मैनुफैक्चरिंग सेक्टर और नौकरियों के मामले में चीन को भारत से बहुत ऊपर बताया.
राहुल के दावे से उलट हैं चीन के आंकड़े
राहुल गांधी की मानें तो चीन में बेरोजगारी नहीं है. लेकिन आंकड़े कुछ और कहानी कहते हैं. National Bureau of Statistics of China के मुताबिक अगस्त 2024 तक के आंकड़े बताते हैं कि चीन के युवाओं की बेरोजगारी दर 17 प्रतिशत है. यानी बड़े पैमाने पर चीन के युवा बेरोजगार हैं. जहां तक मैन्युफैक्चरिंग की बात है तो आपको बता दें कि पिछले करीब 2 वर्षों में 27 मल्टीनेशनल कंपनियों ने अपना पूरा सेटअप या फिर उसका बड़ा हिस्सा चीन से हटा लिया है. इसमें Dell, HP, Nike, Hasbro, Intel, Samsung, Google और Linked.in जैसी बड़ी कंपनियां हैं.
गांधी-पटेल तक ने की थी आरएसएस की तारीफ
राहुल ने अपने अमेरिका दौरे पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को रुढ़िवादी मानसिकता वाला संगठन बताया है.उन्होंने आरोप लगाया है RSS की सोच है कि महिलाओं का काम घर पर रहना और खाना बनाना है. राहुल ने जिस संगठन के बारे में ये सब कहा है उसकी तारीफ महात्मा गांधी तक कर चुके हैं.
- वर्ष 1947 में महात्मा गांधी RSS के शिविर में शामिल हुए थे. तब उन्होंने कहा था कि RSS शिविर में सादगी, अनुशासन और छूआछूत की पूर्ण समाप्ति देखकर वो काफी खुश हुए हैं.
- वर्ष 1962 के युद्धकाल में RSS की सेवाएं देखकर पूर्व पीएम नेहरू ने 1963 के गणतंत्र दिवस समारोह में RSS स्वयंसेवकों को आमंत्रित किया था. इसमें 3 हजार स्वयंसेवकों ने अपनी यूनिफॉर्म पहनकर हिस्सा लिया था.
- सरदार पटेल ने भी RSS को लेकर कहा था ‘इसमें कोई शक नहीं है कि RSS ऐसी जगहों पर काम करता है, जहां सच में मदद की जरूरत होती है. RSS के स्वयंसेवक, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए संघर्ष करते हैं.’
- पिछले कुछ वर्षों में राहुल गांधी की राजनीति भारत के अंदरूनी हालात को, बद से बदतर बताने से जुड़ी हुई है. हाल फिलहाल में वो जातीय राजनीति को भी अहमियत दे रहे हैं. यही वजह है कि वो ना सिर्फ भारतीय बल्कि विदेशी मंच पर भी अपनी एजेंडा नहीं भूलते.
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