हरिद्वार: रविवार को मनसा देवी मंदिर जाने वाले सीढ़ी मार्ग पर हुई दर्दनाक भगदड़ में आठ श्रद्धालुओं की मौत के बाद अब प्रशासन हरकत में आ गया है। हादसे के दूसरे ही दिन सोमवार से सीढ़ी मार्ग पर श्रद्धालुओं की आवाजाही पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। अब इसके स्थान पर रैंप मार्ग से श्रद्धालुओं की आवाजाही शुरू कर दी गई है।
जिलाधिकारी ने लिया निर्णय, रैंप मार्ग को मुख्य बनाया जाएगा
यह महत्वपूर्ण निर्णय सोमवार सुबह जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के मौके पर किए गए निरीक्षण के बाद लिया गया। जिलाधिकारी ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सीढ़ी मार्ग को केवल आपातकालीन स्थितियों के लिए आरक्षित रखा जाए, जबकि सामान्य परिस्थितियों में श्रद्धालु अब रैंप पैदल मार्ग से ही मंदिर तक पहुँचेंगे।
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने रैंप मार्ग को मुख्य पैदल मार्ग बनाने और वहाँ जल्द से जल्द मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। इनमें शौचालय, प्रकाश व्यवस्था, विश्राम स्थल, पीने के पानी की सुविधा, सीसीटीवी कैमरे, सुरक्षा कर्मियों की नियमित तैनाती और मेडिकल सहायता केंद्र जैसी व्यवस्थाओं को प्राथमिकता से विकसित करने के लिए संबंधित विभागों को कहा गया है।
मनसा देवी मंदिर को जोड़ने वाले तीन मुख्य रास्ते:
- रैंप मार्ग (हिल बाइपास के रास्ते):
- यह मार्ग हरकी पैड़ी को जोड़ने वाली अपर रोड से होकर जाता है और लगभग दो किलोमीटर लंबा है।
- हिल बाइपास से लेकर मंदिर तक इसकी चौड़ाई अपेक्षाकृत अधिक है।
- इस मार्ग का उपयोग पुजारी और कर्मचारी स्कूटर-बाइक से मंदिर तक पहुँचने के लिए भी करते हैं।
- कुछ स्थानों पर सुरक्षा रेलिंग, प्रकाश व्यवस्था, शौचालय, कूड़ेदान और विश्राम स्थलों की आवश्यकता है, जिन पर अब काम किया जाएगा।
- रोपवे (ट्रॉली मार्ग):
- अपर रोड से ट्रॉली के ज़रिये श्रद्धालु सीधे मंदिर के समीप तक पहुँच सकते हैं।
- यह मार्ग विशेष रूप से बुजुर्गों, दिव्यांगों और छोटे बच्चों के लिए सुविधाजनक है।
- इसके लिए शुल्क लिया जाता है, इसलिए अधिकांश श्रद्धालु पैदल मार्ग का ही प्रयोग करते हैं।
- सीढ़ी मार्ग (अब बंद):
- यह मार्ग लगभग एक किलोमीटर लंबा है और इसमें लगभग 800 सीढ़ियाँ हैं।
- रविवार को मनसा देवी मंदिर से 100 मीटर पहले इसी मार्ग पर हादसा हुआ था।
- कुछ स्थानों पर यह मार्ग संकरा और खड़ी चढ़ाई वाला है।
- अब इस मार्ग को केवल इमरजेंसी उपयोग के लिए आरक्षित कर दिया गया है।
प्रशासन के इस कदम से मंदिर में भीड़ प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुरक्षा को बेहतर बनाने की उम्मीद है।
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