कोर्ट से एक के बाद एक झटका, मंत्री ने भी छोड़ा साथ… जेल से चलती रहेगी सरकार या इस्तीफा देंगे केजरीवाल?

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शराब घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद अरविंद केजरीवाल को फिलहाल कहीं से भी राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. एक तरफ मंगलवार को हाईकोर्ट ने कहा गिरफ्तारी सही है तो वहीं बुधवार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने हफ्ते में पांच बार वकील से मिलने की इजाजत वाली याचिका खारिज कर दी.

केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट में तुरंत सुनवाई चाहते थे, लेकिन वहां भी स्पेशल बेंच नहीं बनी. अब अरविंद केजरीवाल की सरकार के ही मंत्री राजकुमार आनंद ने अपने ही सीएम के भ्रष्टाचार में होने की बात का भरोसा मानकर इस्तीफा दे दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस्तीफा देने की शुरुआत हो चुकी है और क्या केजरीवाल जेल से सरकार चलाने के रुख पर कायम रहेंगे या फिर इस्तीफा दे देंगे?

दरअसल, केजरीवाल सरकार में छह मंत्री थे, जिनमें गोपाल राय हैं. इमरान हुसैन हैं. तीसरे मंत्री हैं कैलाश गहलोत. इनसे भी ईडी शराब घोटाले में पूछताछ कर चुकी है. चौथे और पांचवें मंत्री हैं सौरभ भारद्वाज और आतिशी. ईडी के मुताबिक केजरीवाल ने कहा कि आरोपी विजय नायर इन दोनों को ही रिपोर्ट करता था. छठे मंत्री राजकुमार आनंद थे, जिन्होंने भ्रष्टाचार में पार्टी के रूप को देखकर दुखी होने के दावे के साथ इस्तीफा दे दिया. यानी इस वक्त दिल्ली सरकार के कुल सात किरदारों में से केजरीवाल समेत चार मंत्री या तो शराब घोटाले में आरोपी हैं या कोर्ट में इनका नाम सुनने में आया है. वहीं एक मंत्री राजकुमार आनंद ने पार्टी के करप्शन में फंसे होने का दावा करके व्यथित होकर इस्तीफा दे दिया है.

केजरीवाल के मंत्री ने उठाए सरकार पर सवाल

राजकुमार आनंद के इस्तीफे ने देश की राजधानी की सियासत के खेल को और दिलचस्प बना दिया है. कारण, जिस वक्त जेल से सरकार चलाने पर केजरीवाल अड़े हुए हैं. जब केजरीवाल समेत पूरी पार्टी हर आरोप को झूठा बता रही है. जब आम आदमी पार्टी जेल का जवाब वोट से कैपेन चला रही है. जब आम आदमी पार्टी जेल जाने वाले नेताओं को भगत सिंह बता रही है. तब केजरीवाल के ही मंत्री राजकुमार आनंद पार्टी के भीतर से सिर्फ सवाल उठाने वाले पहले नेता नहीं बने हैं, बल्कि केजरीवाल के शराब घोटाले में शामिल होने के आरोपों पर भरोसा करने वाले भी पार्टी के भीतर पहले नेता बन गए हैं. उन्होंने बुधवार शाम अचानक मीडिया को बुलाया और अफसोस, असहज, नैतिक ताकत जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए बड़ा बयान दिया.

राजकुमार आनंद ने पार्टी और मंत्री पद से दिया इस्तीफा

उन्होंने कहा कि मैं राजानीति में तब आया जब केजरीवाल ने कहा था कि राजनीति बदलेगी तो देश बदलेगा. आज अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि राजनीति नहीं बदली लेकिन राजनेता बदल गए. आम आदमी पार्टी का जन्म ही भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से हुआ था. लेकिन आज ये पार्टी खुद भ्रष्टाचार के दलदल में फंस गई. मंत्री पद पर रहकर काम करना असहज हो गया. मैं पार्टी, सरकार, मंत्री पद से इस्तीफा दे रहा हू. मैं भ्रष्ट आचरण में नाम नहीं जुड़वाना चाहता. मैं नहीं समझता कि हमारे पास शासन करने की नैतिक ताकत बची है. उन्होंने मीडिया से कहा कि कल से पहले ऐसा लग रहा था कि फंसाया जा रहा है, लेकिन जब हाईकोर्ट का फैसला आया तो हमें लगा कि हमारे यहां गड़बड़ है. यानी नैतिकता का जिक्र कर केजरीवाल के बागी मंत्री ने सीएम को इस्तीफा दे देने की मांग कर डाली है.

क्या केजरीवाल इस्तीफा देंगे?

राजकुमार आनंद के बयान पर गौर की जाए तो दो सवाल उठते हैं. क्या राजकुमार आनंद बीजेपी में शामिल होने वाले हैं और इसीलिए ही मंत्री पद छोड़कर केजरीवाल को करप्शन में हाईकोर्ट का फैसला सुनकर दोषी मानने भी लग गए हैं, जबकि अभी दोषसिद्ध नहीं हुई. दूसरा सवाल है कि क्या राजकुमार आनंद जैसे और भी नेता आम आदमी पार्टी के भीतर हैं, जो चाहते हैं कि केजरीवाल इस्तीफा दें या जो मानते हैं कि भ्रष्टाचार में कहीं ना कहीं पार्टी फंस गई है? इन दो सवालों के बीच दस्तक यही कि क्या अब केजरीवाल जेल से सरकार चलाना छोड़ेंगे. क्या केजरीवाल इस्तीफा देंगे?

राजकुमार आनंद ने दूसरी बार आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दिया है. साल 2015 में भी वह पार्टी छोड़कर चल गए थे और फिर 2019 में उन्हें दोबारा आम आदमी पार्टी में शामिल कराया गया था. राजकुमार आनंद के इस्तीफे के बाद अगर और कोई नेता, विधायक आम आदमी पार्टी के इस्तीफा देते हैं या केजरीवाल के इस्तीफा ना देने पर नैतिकता के आधार पर सवाल उठाते हैं तो क्या वो दबाव बनेगा, जिसके आगे अरविंद केजरीवाल झुकेंगे या फिर जैसे अभी जेल से सरकार है, वैसे ही चलती रहेगी? ये भी सवाल है.