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केदारनाथ हेलीकॉप्टर क्रैश के बाद सीएम धामी के निर्देशों पर हरीश रावत ने उठाए सवाल: ‘बिना SOP के कैसे चल रही थीं हेली सेवाएं?’

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देहरादून: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में गौरीकुंड के पास हुए दुखद हेलीकॉप्टर क्रैश के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में हेलीकॉप्टर सेवाओं के संचालन को लेकर सख्त एसओपी के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए हैं। हालांकि, इस पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने धामी सरकार पर कई सवाल दागे हैं और सरकार को घेरा है।


हरीश रावत के सवाल: ‘SOP पहले क्यों नहीं बनी?’

पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि जब उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर हेली सर्विसेज, जिनमें चारधाम यात्रा भी शामिल है, संचालित हो रही हैं, तब यह काम बहुत पहले ही पूरा हो जाना चाहिए था। उन्होंने सवाल उठाया कि बिना किसी निर्धारित एसओपी के आखिर इतने बड़े पैमाने पर हेली सेवाएं अब तक कैसे संचालित हो रही थीं?

रावत का कहना है कि यह स्वाभाविक प्रश्न उठेगा और लोगों के मन में भी यह सवाल उठ रहा होगा। उन्होंने सिंगल सेंट्रल कमांड के अभाव को भी इसी से जुड़ा प्रश्न बताया, और कहा कि इस हादसे ने हमारे सिस्टम की कई खामियों को उजागर कर दिया है।


‘सुबह 5 बजे उड़ान किसकी परमिशन से?’

हरीश रावत ने हेलीकॉप्टर के संचालन समय पर भी प्रश्नचिह्न लगाया। उन्होंने कहा, “अगर आधी रात को आपको उजाला दिखाई देगा तो क्या आधी रात को आप हेलीकॉप्टर ऑपरेट करने लग जाएंगे? एक निर्धारित समय के लिए अगर मौसम अनुकूल हो तभी हेलीकॉप्टर ऑपरेट किया जाना चाहिए था।” उन्होंने विशेष रूप से पूछा कि इस हादसे से पहले सुबह 5 बजे ही हेलीकॉप्टर ऑपरेट हुआ, तो वह आखिर किसकी परमिशन से हुआ है?


पायलट ट्रेनिंग और DGCA नियमों पर भी उठाए प्रश्न

हरीश रावत ने पायलटों की ट्रेनिंग और सुरक्षा प्रोटोकॉल पर भी चिंता व्यक्त की। उनका कहना है कि अब पता चल रहा है कि वहाँ ऑपरेट करने वाले जो पायलेट्स हैं, उनसे कंपनियाँ पहले ट्रायल टेक ऑफ, ट्रायल लैंडिंग नहीं करवा रही हैं। उन्होंने जोर दिया कि प्रदेश के दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र हैं और इन क्षेत्रों के भीतर ट्रायल टेक ऑफ और लैंडिंग के बिना किसी पायलट को ऑपरेट करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

उन्होंने एक और महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया कि हमेशा हेलीकॉप्टर में बैठते समय उनके मन में यही सवाल उठता है कि यह हेलीकॉप्टर सात लोगों को लेकर आता और जाता है, किंतु उच्च पर्वतीय स्थानों में सात लोग और सामान के साथ उड़ान भरना हमेशा चुनौतीपूर्ण बना रहेगा। इसलिए, डीजीसीए (DGCA) के निर्देशों का पालन हो रहा है या नहीं, इसको सुनिश्चित करने के लिए युकाडा (यूनाइटेड किंगडम सिविल एविएशन अथॉरिटी) के पास भी अपना इंफ्रास्ट्रक्चर और मशीनरी होनी चाहिए।

हरीश रावत के इन बयानों से इस दुखद हादसे के बाद हेलीकॉप्टर सेवाओं के संचालन और सुरक्षा मानकों पर सरकार की जवाबदेही को लेकर राजनीतिक बहस तेज हो गई है।


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