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हल्दूचौड़-गोरापड़ाव राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवैध कटों को लेकर मुख्यमंत्री ने लिया संज्ञान, NHAI अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई के निर्देश

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हल्दूचौड़/देहरादून, 21 जुलाई 2025: हल्दूचौड़-गोरापाड़व राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-109) पर बने मानकविरुद्ध कटों और लगातार हो रही सड़क दुर्घटनाओं को लेकर अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गंभीर संज्ञान लिया है। सामाजिक कार्यकर्ता पीयूष जोशी द्वारा भेजे गए शिकायत पत्र पर मुख्यमंत्री के अपर निजी सचिव जगदीश चंद्र कांडपाल ने त्वरित कार्रवाई करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना निदेशालय और संबंधित NHIDCL/NHAI अधिकारियों को तत्काल जनहित में कड़े निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के बाद लापरवाह ठेकेदारों और अधिकारियों पर गाज गिरने की संभावना बढ़ गई है।


 

मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी निर्देश

 

मुख्य सेवक सदन (मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय) से प्राप्त निर्देशों के अनुसार, निर्माण एजेंसियों को हल्दूचौड़ से गोरापाड़व तक के 15 किलोमीटर के खंड में बने 15 गैर-मानक कटों की सूची एक सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करनी होगी। इन कटों में सड़क चौड़ाई, सर्विस रोड, स्पीड ब्रेकर, रिफ्लेक्टर और संकेत बोर्ड सहित सभी आवश्यक सुरक्षा उपाय नहीं किए गए हैं।

सचिव कांडपाल ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत तारीख, स्थान और दुर्घटना विवरण को ध्यान में रखते हुए अवैध कट तुरंत बंद करवाए जाएं और गंभीर लापरवाही पर ठेकेदार एजेंसियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।


 

हाल की दुर्घटनाएं बनीं कार्रवाई का आधार

 

यह कार्रवाई हाल ही में हुई दो दुखद घटनाओं के बाद की गई है। 17 जुलाई को एक परिवार के स्कूटी से कट पार करते समय ट्रक की चपेट में आने से युवक कन्नू सिंह सम्मल की मौत हो गई थी और उनकी पत्नी व दो बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इससे दो दिन पहले ही व्यापारी दीपक जोशी की तेज रफ्तार वाहन की टक्कर से मृत्यु हुई थी। इन घटनाओं पर प्रमुख समाचार पत्रों ने मानकविरुद्ध कटों और प्रशासनिक निष्क्रियता का उल्लेख किया था।


 

मानवाधिकार आयोग में भी शिकायत दर्ज, मुआवजे की मांग

 

इन दुर्घटनाओं और राज्य स्तर पर उठे आक्रोश को देखते हुए पीयूष जोशी ने आज ही इन घटनाओं और सरकार की उदासीनता को आधार बनाकर उत्तराखंड राज्य मानवाधिकार आयोग को भी विस्तृत शिकायत पत्र भेजा है। अपने पत्र में उन्होंने अनुच्छेद 21 के तहत “जीवन का अधिकार” एवं “मानव गरिमा” के उल्लंघन का जिक्र करते हुए कहा कि बार-बार हो रही जानलेवा दुर्घटनाओं ने आम नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को सीधा चुनौती दी है।

याचिका में जोशी ने:

  • मृतकों के परिवारों को न्यूनतम ₹10 लाख
  • गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों को ₹5 लाख मुआवजे की मांग की है।

जोशी ने आयोग से यह भी मांग की है कि:

  • सभी अवैध कटों का स्थलीय निरीक्षण आयोग द्वारा स्वयं किया जाए।
  • जिम्मेदार अभियंताओं, परियोजना प्रबंधकों और ठेकेदारों पर FIR दर्ज की जाए
  • भविष्य में किसी भी राजमार्ग पर गैर-मानक कट की अनुमति न दी जाए और एक स्थायी निरीक्षण तंत्र विकसित किया जाए

आयोग सूत्रों के अनुसार, यदि उनकी शिकायत पत्र आज ही स्व-संज्ञान में ली जाती है, तो जल्द ही मानवाधिकार आयोग की विशेष कार्यवाही और न्यायिक संस्तुति की संभावना है। आयोग की विशेष टीम आगामी सप्ताह में मौके का दौरा कर सकती है और उच्च स्तरीय अनुशासनात्मक संस्तुति भी दी जा सकती है।

सामाजिक कार्यकर्ता पीयूष जोशी का कहना है, “अब तक केवल आश्वासन मिल रहे थे, लेकिन आज स्पष्ट निर्देशों से आशा जगी है कि न केवल कटों को हटाया जाएगा, बल्कि भविष्य में सड़क सुरक्षा के शीर्ष मानकों का पालन भी सुनिश्चित होगा।” उन्होंने मुख्यमंत्री और मानवाधिकार आयोग दोनों का धन्यवाद करते हुए कहा कि आमजन की जान की रक्षा अब प्राथमिकता बनेगी।


क्या आपको लगता है कि इस तरह की सख्त कार्रवाई से भविष्य में सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा?

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