देहरादून: उत्तराखंड में कांग्रेस ने आगामी 2027 विधानसभा चुनाव के लिए भले ही नई टीम का ऐलान कर दिया हो, लेकिन पार्टी में गुटबाजी खत्म करना नई टीम के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। नए प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल की ताजपोशी के बाद भी वरिष्ठ नेताओं के सुर एक-दूसरे के खिलाफ सुनाई दे रहे हैं, खासकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह के बीच।
🐍 हरीश रावत का ‘विष पुरुष’ बयान
वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कांग्रेस के मंच से एक बड़ा बयान दिया था, जिस पर विवाद खड़ा हो गया है:
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सत्ता वापसी की शर्त: रावत ने कहा कि साल 2027 में कांग्रेस तभी सत्ता में आ सकती है, जब पार्टी के अंदर कुछ ‘विष पुरुष’ (Venomous Individuals) अपना स्वार्थ त्याग देंगे।
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नुकसान: उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी में कुछ लोग ऐसे हैं जो यह चाहते हैं कि उनके क्षेत्र का विधायक कांग्रेस का तो हार जाए, लेकिन बाकी 69 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीत जाएं।
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आग्रह: उन्होंने ‘विष पुरुषों’ पर कटाक्ष करते हुए कहा, “विष पुरुषों तुमने बहुत पार्टी को नुकसान पहुंचा दिया, अब और नहीं।” उन्होंने उनसे अपने मन का ‘विष’ उनकी झोली में डाल देने और पार्टी के लिए काम करने का आग्रह किया।
(संदर्भ: इससे पहले हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर गणेश गोदियाल को संबोधित करते हुए यह भी आग्रह किया था कि उन्हें भी कोई जिम्मेदारी मिल जाती तो बेहतर रहता।)
🗣️ प्रीतम सिंह की तीखी प्रतिक्रिया
हरीश रावत के इस बयान पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया दी:
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विष पुरुष का खंडन: प्रीतम सिंह ने साफ तौर पर कहा कि “हमारी पार्टी में कोई भी ऐसा विष पुरुष नहीं है। हम सभी कांग्रेस के लिए काम करते हैं और कांग्रेस के सिपाही हैं।”
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आत्म-मंथन की सलाह: उन्होंने कहा कि हमारा एक-एक कार्यकर्ता बेहद लगन और मन से काम करता है। उन्होंने वरिष्ठ नेताओं को सलाह दी कि “हमें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए और इस बात पर और ज्यादा बहस नहीं करनी चाहिए। यह पार्टी के लिए भी ठीक नहीं है।”
इस बयानबाजी ने एक बार फिर उत्तराखंड कांग्रेस में आंतरिक कलह को उजागर कर दिया है। उधर, बीजेपी विधायक विनोद चमोली रावत के बयान को पहले ही आपत्तिजनक बता चुके हैं।
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