देहरादून: उत्तराखंड में संविदा और उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण और ‘समान काम के बदले समान वेतन’ के मुद्दे पर मंत्रिमंडल उप समिति की बैठक में महत्त्वपूर्ण चर्चा की गई है। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में गठित इस समिति (जिसमें मंत्री सौरभ बहुगुणा भी शामिल हैं) ने अंतिम निर्णय पर पहुँचने की दिशा में विचार विमर्श किया है।
📝 संविदा कर्मचारियों के लिए कट-ऑफ डेट पर विचार
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मौजूदा आदेश: हाल ही में जारी आदेश के अनुसार, केवल 2018 तक के संविदा कर्मियों को ही 10 साल की सेवा पर नियमित करने के आदेश दिए गए थे।
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नए विचार: मंत्रिमंडलीय उप समिति अब कट-ऑफ डेट को आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है।
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संभावित लाभ: माना जा रहा है कि इस कट-ऑफ डेट को 2024 तक बढ़ाया जा सकता है, जिससे 2024 तक के संविदा कर्मियों को भी नियमितीकरण का लाभ मिल सकेगा।
🤝 उपनल कर्मचारियों पर ‘समान वेतन’ पर मंथन
उपनल (UPNL) कर्मचारियों के लिए अलग से विचार किया जा रहा है:
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चर्चा का विषय: उपनल कर्मियों के लिए ‘समान काम के बदले समान वेतन’ की थ्योरी पर चर्चा की गई है।
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सेवा अवधि: मुख्यमंत्री पहले चरणबद्ध तरीके से समान वेतन दिए जाने की बात कह चुके हैं, जिसमें 12 साल की सेवा पूरी करने वालों को लाभ दिए जाने की बात थी।
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समिति की सिफारिश: जानकारी के अनुसार, मंत्रिमंडलीय उप समिति 10 साल की सेवा पूरी करने वालों को भी इस लाभ दिए जाने की सिफारिश कर सकती है, और पहले चरण में 2014 तक के कर्मियों को इसका लाभ मिल सकता है।
🏛️ कोर्ट के आदेश का दबाव
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हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट: 2018 में हाईकोर्ट ने उपनल कर्मियों के नियमितीकरण के लिए नियमावली बनाने के आदेश दिए थे। राज्य सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
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दबाव: उपनल कर्मचारी सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका भी लगा चुके हैं। कोर्ट के आदेश के क्रम में ही सरकार ने इस मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन किया है।
कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर समिति चर्चा कर रही है और यह समिति केवल अपनी सिफारिश ही दे सकती है, जिसे अंतिम निर्णय के लिए सरकार को सौंपा जाएगा।
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