उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट की रोक: आरक्षण नियमावली का नोटिफिकेशन न होने पर बड़ा झटका

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देहरादून: उत्तराखंड की धामी सरकार को नैनीताल हाईकोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण का मतदान अब 10 जुलाई को नहीं होगा, क्योंकि हाईकोर्ट ने आरक्षण नियमावली का नोटिफिकेशन जारी नहीं होने पर इन चुनावों पर रोक लगा दी है।


ऐन वक्त पर लगी रोक, सरकार को झटका

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को लेकर काफी समय से सुगबुगाहट तेज़ थी और सरकार व राज्य निर्वाचन आयोग ने इसके लिए अपनी तैयारियाँ पूरी कर ली थीं। 21 जून को अधिसूचना भी जारी कर दी गई थी, जिसके बाद पूरे प्रदेश में आचार संहिता लागू हो गई थी। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव दो चरणों में होने थे, जिसमें पहले चरण के लिए मतदान 10 और 15 जुलाई को निर्धारित था, जबकि मतगणना 19 जुलाई को होनी थी। लेकिन, हाईकोर्ट की रोक के बाद अब 10 और 15 जुलाई को मतदान नहीं होगा। इसे धामी सरकार के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है।

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चुनाव प्रक्रिया और आरक्षित पदों का विवरण

पंचायत चुनाव के लिए हरिद्वार को छोड़कर प्रदेश के 12 जिलों में चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। प्रदेश के 12 जिलों में ग्राम पंचायत प्रधान के 7817 पदों में से:

  • अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए: 226 पद
  • अनुसूचित जाति (एससी) के लिए: 1467 पद
  • अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए: 1250 पद
  • शेष पद अनारक्षित किए गए थे। ग्राम पंचायत प्रधान के कुल 7817 पदों में से 50 फीसदी से अधिक पद आरक्षित किए गए थे।
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इसी तरह, प्रदेश के 12 जिलों में 89 ब्लॉक पंचायत प्रमुखों का चुनाव होना था, जिसमें:

  • एसटी के लिए: 3 पद
  • एससी के लिए: 18 पद
  • ओबीसी के लिए: 15 पद आरक्षित थे।

जिला पंचायत अध्यक्ष के 12 पदों पर चुनाव होने थे। 13 जिला पंचायतों में:

  • एसटी के लिए: 0 पद
  • एससी के लिए: 2 सीट
  • ओबीसी के लिए: 2 पद
  • 9 सीटों को अनारक्षित किया गया था।
  • जिला पंचायत पदों में भी 50 फीसदी से अधिक सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई थीं।
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बीते दिनों पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव ने इसकी जानकारी साझा की थी। हाईकोर्ट के इस फैसले से चुनाव प्रक्रिया अनिश्चितकाल के लिए टल गई है, और सरकार को अब आरक्षण नियमावली के मुद्दे को हल करना होगा।