जानिए कौन हैं कांग्रेस के गढ़वाल सीट के प्रत्याशी गणेश गोदियाल, सब्जी बेचने से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक का सफर

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गढ़वाल सीट पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को मैदान में उतारा है। हालांकि दिनभर गणेश गोदियाल के चुनाव न लड़ने को लेकर कयासबाजी चलती रही। सोशल मीडिया में इस बात की चर्चा थी कि गणेश गोदियाल ने हाईकमान को चुनाव न लड़ने की बात कही है।

लेकिन देर शाम कांग्रेस की लिस्ट में गढ़वाल सीट पर गणेश गोदियाल का नाम शामिल होने से कई लोग को हैरानी जरूरी हुई।

भाजपा ने गढ़वाल सीट पर अभी किसी को टिकट नहीं दिया है। ऐसे में आने वाले दिनों में तस्वीर साफ हो पाएगी कि गणेश गोदियाल का मुकाबला किससे होता है।

गणेश गोदियाल मूल रूप में पौड़ी जिले के बहेड़ी गांव पैठाणी इलाके के हैं। गोदियाल की व्यक्तिगत लाइफ आसान न​हीं रही। काफी संघर्षों के बाद वे आज यहां तक पहुंचें। गाय पालने से लेकर उन्होंने मुंबई की सड़कों पर सब्जी-फल तक बेचने का कारोबार किया।

करीब 25 साल तक मुंबई में अपनी मेहनत और योग्यता से बड़े कारोबारी की लिस्ट में शामिल हुए। बाद में अपनी पैतृक भूमि में लौट आए और पौड़ी जिले के पिछड़े कहे जाने वाले राठ क्षेत्र को अपनी नई कर्मभूमि बनाया।

गणेश गोदियाल जुलाई 2021 में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल चुके हैं। लेकिन 2022 का विधानसभा चुनाव में हार के बाद उन्हें कुर्सी से हटा दिया गया।

गणेश गोदियाल श्रीनगर सीट से विधायक का चुनाव भी हार गए थे। गोदियाल को पूर्व सीएम हरीश रावत का करीबी माना जाता है। गोदियाल ने बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी संभाली है।

पृथक उत्तराखंड राज्य बनने के बाद होने वाले पहले चुनावों में कांग्रेस पार्टी थलीसैंण विधानसभा क्षेत्र में पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक को टक्कर देने के लिए दमदार प्रत्याशी की तलाश कर रही थी। तब पार्टी की नजर गणेश गोदियाल पर पड़ी, जो उस समय जोर-शोर से राठ महाविद्यालय की स्थापना में लगे हुए थे।

सतपाल महाराज की सिफारिश पर पार्टी ने गणेश गोदियाल पर दांव खेला। लेकिन गणेश गोदियाल ने 2002 के चुनाव में निशंक को हराकर ऐतिहासिक ​जीत दर्ज की। वर्ष 2007 में हुए विधानसभा चुनावों में गोदियाल निशंक के हाथों चुनाव हार गए। वर्ष 2012 के चुनाव से पहले हुए परिसीमन में थलीसैंण क्षेत्र श्रीनगर विधानसभा का हिस्सा बना।

नए परिसीमन पर हुए चुनावों में श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र से गणेश गोदियाल ने भाजपा के डॉ. धन सिंह रावत को पराजित किया। गणेश गोदियाल सतपाल महाराज के करीबी माने जाते थे। जब महाराज भाजपा में गए थे गोदियाल के भी भाजपा में जाने के चर्चे हुए लेकिन गोदियाल कांग्रेस में डटे रहे।

2016 में हुई उत्तराखंड की सियासत में उथल पुथल के बाद वे हरीश रावत के करीबी हो गए। राठ क्षेत्र को ओबीसी का दर्जा दिलाना एवं राठ महाविद्यालय को राजकीय सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेज बनाना गोदियाल का ऐतिहासिक कार्य माना जाता है। वर्ष 2017 में हुए चुनावों में गणेश गोदियाल चुनाव हार गए