लालकुआं : ‘श्रीलंका टापू’ के ग्रामीण हर बरसात में होते हैं अलग-थलग, बुनियादी सुविधाओं से वंचित

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लालकुआं: उत्तराखंड के लालकुआं से करीब 12 किलोमीटर दूर स्थित ‘श्रीलंका टापू’ गांव के 40 परिवार हर साल बरसात के मौसम में बाकी दुनिया से कट जाते हैं। 1984 की बाढ़ ने इस क्षेत्र को अलग-थलग कर दिया था, और तब से हर साल यह गांव बाढ़ की चपेट में आ जाता है।


 

ग्रामीणों का जीवन और उनकी समस्याएं

 

इस गांव के करीब 125 लोग स्कूल, अस्पताल और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। बरसात के तीन महीने यहाँ के बच्चों की पढ़ाई रुक जाती है और बीमार लोगों को इलाज के लिए जान जोखिम में डालकर उफनती नदी पार करनी पड़ती है। ग्रामीण हर रात जंगली जानवरों और गौला नदी की बाढ़ के डर में जीते हैं। नदी का कटाव लगातार उनके घरों और खेतों को निगल रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि वे “भगवान भरोसे” जीवन जी रहे हैं।

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प्रशासन और नेताओं का आश्वासन

 

उप-जिलाधिकारी (SDM) रेखा कोहली ने बताया कि बरसात से पहले ग्रामीणों को तीन माह का राशन और अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराया गया है और एक अस्थाई हेलीपैड भी बनाया गया है। वहीं, स्थानीय विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट ने कहा कि बिजली के लिए सितारगंज की ओर से प्रस्ताव भेजा जा रहा है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि नदी का पानी कम होते ही तटबंध बनाने और क्षतिग्रस्त रास्तों की मरम्मत का काम शुरू किया जाएगा।

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