हिमालय प्रहरी

उत्तराखंड में नई योग नीति लॉन्च: 5 योग हब बनेंगे, 23 हजार से अधिक युवाओं को मिलेगा रोजगार

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देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को उत्तराखंड में औपचारिक रूप से राज्य योग नीति का शुभारंभ किया। इस नीति के तहत, अगले पाँच सालों में राज्य में पाँच नए योग हब स्थापित किए जाएँगे। साथ ही, मार्च 2026 तक उत्तराखंड के सभी आयुष एवं वेलनेस केंद्रों में योग सेवाएँ शुरू की जाएँगी।


रोजगार सृजन और अनुसंधान को बढ़ावा

इस नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य में 23 हज़ार से अधिक युवाओं को रोजगार प्रदान करना है। सचिव आयुष दीपेंद्र चौधरी ने बताया कि नई योग नीति से राज्य में 13 हज़ार से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे, जबकि 10 हज़ार से अधिक योग अनुदेशकों को होम स्टे, रिसॉर्ट और होटलों में रोजगार मिलेगा। इसके अतिरिक्त, 2500 से अधिक योग शिक्षकों को योग के क्षेत्र में शोध करने का अवसर मिलेगा।

नीति के तहत, राज्य में योग एवं ध्यान केंद्र विकसित करने पर अधिकतम ₹20 लाख तक की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। वहीं, योग, ध्यान और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में शोध करने के लिए ₹10 लाख तक का अनुदान दिया जाएगा।


उत्तराखंड बना योग नीति बनाने वाला पहला राज्य

सचिव आयुष दीपेंद्र चौधरी ने बताया कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने योग नीति बनाई है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि उत्तराखंड प्राचीन परंपराओं और आध्यात्म का केंद्र रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड न केवल हिमालय की गोद में बसा राज्य है, बल्कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की दूरदृष्टि के कारण अब वैश्विक संवाद का केंद्र भी बनता जा रहा है। यह योग नीति अगले पाँच सालों के लिए तैयार की गई है।


राष्ट्रपति मुर्मू का संदेश: योग पंथ-निरपेक्ष है

इसी बीच, देहरादून में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि योग से दुनिया के लोग लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि योग की शिक्षा को किसी पंथ या संप्रदाय विशेष से जोड़ना गलत होगा, क्योंकि कुछ लोग भ्रांतिवश योग को किसी समुदाय विशेष से जोड़ते हैं, जो उचित नहीं है। राष्ट्रपति का यह बयान योग की सार्वभौमिक प्रकृति पर प्रकाश डालता है।

यह नीति उत्तराखंड को योग और आध्यात्म के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और राज्य के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगी।

आपकी राय में, यह नई योग नीति उत्तराखंड के पर्यटन और आध्यात्मिक पहचान को कैसे प्रभावित करेगी?


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