उत्तराखंड की धामी सरकार ने लंबे समय से लंबित पड़े नियमितीकरण (विनियमितीकरण) मामले में बड़ा फैसला लेते हुए संशोधित विनियमितीकरण नियमावली-2025 लागू कर दी है। इस संशोधित नियमावली के तहत, अब 10 साल की निरंतर सेवा पूरी करने वाले कार्मिकों को नियमित किया जा सकेगा।
✅ संशोधित नियमावली की मुख्य शर्तें
राज्य सरकार ने विनियमितीकरण नियमावली-2013 में संशोधन करते हुए नई नियमावली जारी की है। सचिव कार्मिक शैलेश बगोली द्वारा शुक्रवार को इस संबंध में अधिसूचना निर्गत की गई है।
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पात्र कार्मिकों की श्रेणियाँ: दैनिक वेतन, कार्य प्रभारित, संविदा, नियत वेतन, अंशकालिक और तदर्थ रूप में नियुक्त कार्मिक।
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अनिवार्य सेवा अवधि: विनियमितीकरण हेतु वे कार्मिक पात्र होंगे, जिन्होंने दिनांक 4 दिसंबर 2018 तक इस रूप में कम से कम 10 वर्ष की निरंतर सेवा उस पद या समकक्ष पद पर पूर्ण कर ली हो।
⏱️ पुराने नियम और लंबित स्थिति
संशोधन से पहले, 2013 की नियमावली में यह प्रावधान था कि नियमावली के प्रख्यापन की तिथि को जिस भी कार्मिक ने उस पद पर कम से कम 5 वर्ष की निरंतर सेवा पूरी कर ली हो, वह विनियमितीकरण हेतु पात्र होगा।
हालांकि, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पाँच साल की इस नियमावली पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद से ही यह मामला वर्ष 2018 के बाद से लंबित था। अब, सरकार ने मामले में समय सीमा को 5 साल से बढ़ाकर 10 साल करते हुए संशोधित नियमावली लागू कर दी है।
🤝 उपनल कर्मचारियों की मांग
इस संशोधित नियमावली के लागू होने के बाद, उपनल (UPNL) कर्मचारी भी खुद को नियमित करने की मांग कर रहे हैं और सरकार से इस पर गंभीरता से विचार करने की अपील कर रहे हैं।
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