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उत्तराखंड: हरिद्वार भूमि घोटाले की जांच SP रचिता जुयाल करेंगी लीड, इस्तीफा अभी तक नहीं हुआ स्वीकृत

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देहरादून: उत्तराखंड में हाल ही में अपने इस्तीफे को लेकर चर्चाओं में आईं आईपीएस अधिकारी रचिता जुयाल को अब एक बड़ी और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह हरिद्वार भूमि घोटाले की जांच कर रही विजिलेंस की पांच सदस्यीय टीम को लीड करेंगी। उत्तराखंड के गृह सचिव शैलेश बगौली ने हरिद्वार भूमि घोटाले में विजिलेंस जांच के आदेश जारी किए हैं।

धामी सरकार की सख्त कार्रवाई:

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने बीते 3 जून को हरिद्वार जमीन घोटाले के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए हरिद्वार जिलाधिकारी सहित कुल 12 अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित किया था। अधिकारियों के निलंबित होने के बाद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जमीन घोटाले की विस्तृत जांच के लिए विजिलेंस जांच का आदेश दिया था। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार, उत्तराखंड के गृह सचिव शैलेश बगौली ने बीते गुरुवार को हरिद्वार भूमि घोटाले में विजिलेंस जांच के आदेश जारी किए।

SP रचिता जुयाल को कमान:

गृह सचिव शैलेश बगौली द्वारा दिए गए जांच आदेश के बाद, पुलिस मुख्यालय ने हरिद्वार भूमि घोटाले की जांच के लिए 5 सदस्यों की टीम का गठन किया है। एसपी रचिता जुयाल को इस पांच सदस्यीय जांच टीम में शामिल किया गया है, और वह ही इस टीम का नेतृत्व करेंगी। विजिलेंस की इस जांच टीम में आईपीएस अधिकारी रचिता जुयाल के अलावा चार अन्य होनहार अधिकारी भी शामिल किए गए हैं।

इस्तीफे के बावजूद मिली बड़ी जिम्मेदारी:

गौरतलब है कि 2015 बैच की आईपीएस अधिकारी रचिता जुयाल बीते दिनों कुछ निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा देने के बाद चर्चा में आई थीं। हालांकि, उनके इस्तीफे को सरकार ने अब तक स्वीकृति प्रदान नहीं की है। इसी बीच, सरकार ने उन्हें एक बड़ी और संवेदनशील जिम्मेदारी सौंप दी है, जो उनकी क्षमता और निष्ठा पर सरकार के भरोसे को दर्शाता है।

क्या है हरिद्वार भूमि घोटाला?

यह मामला हरिद्वार नगर निगम द्वारा ग्राम सराय में कूड़े के ढेर के निकट स्थित अनुपयुक्त 2.3070 हेक्टेयर भूमि को करोड़ों रुपये में खरीदने से संबंधित है। इस खरीद पर सवाल उठने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जांच के आदेश दिए थे। सचिव रणवीर सिंह चौहान ने मामले की प्रारंभिक जांच की और 29 मई को अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी।

जांच रिपोर्ट के अनुसार, इस भूमि को खरीदने की कोई तात्कालिक आवश्यकता नहीं थी। इसके अलावा, निगम द्वारा भूमि खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता का पालन नहीं किया गया और शासन के नियमों को नजरअंदाज करते हुए इस जमीन घोटाले को अंजाम दिया गया। मुख्यमंत्री ने कार्मिक विभाग को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, जिसके परिणामस्वरूप कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने सभी सात आरोपित अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए थे। अब इस मामले की गहन जांच का जिम्मा एसपी रचिता जुयाल की अगुवाई वाली विजिलेंस टीम को सौंपा गया है।


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