राज्य का जनगणना कार्य निदेशालय जनगणना के मोड में, जनगणना का पहला चरण अप्रैल 2026 में होगा शुरू

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उत्तराखंड में आगामी जनगणना की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना जारी किए जाने के बाद, राज्य का जनगणना कार्य निदेशालय पूरी तरह से इस कार्य के लिए तैयार है।

जनगणना का स्वरूप और समय-सीमा:

  • पहला चरण: अप्रैल 2026 में मकान सूचीकरण और मकानों की गणना का कार्य शुरू होगा। यह 45 दिनों की अवधि में पूरा किया जाएगा, जिसमें अप्रैल से जून 2026 तक का समय शामिल होगा। इस चरण में मकानों की स्थिति, मुखिया का नाम और भवन में उपलब्ध सुविधाओं का विवरण दर्ज किया जाएगा।
  • मुख्य जनगणना: वर्ष 2027 में 09 से 28 फरवरी के बीच घर-घर जाकर विस्तृत आंकड़े जुटाए जाएंगे। इस चरण में मुखिया के साथ ही परिवार के सभी सदस्यों की व्यक्तिगत जानकारी और शैक्षिक योग्यता का विवरण दर्ज होगा।
  • बर्फबारी वाले क्षेत्र: उत्तराखंड के लगभग 150 गांव और तीन नगर ऐसे हैं जहाँ फरवरी में बर्फ जमी रहती है। इन क्षेत्रों में विस्तृत जनगणना का चरण वर्ष 2026 में 11 सितंबर से 30 सितंबर के बीच पूरा कर लिया जाएगा।
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डिजिटल जनगणना और परिणाम:

यह भारत की पहली पूरी तरह से डिजिटल जनगणना होगी। प्रगणक और सुपरवाइजर मोबाइल ऐप का उपयोग करके सीधे डेटा दर्ज करेंगे। इस डिजिटल प्रारूप के कारण, जनगणना के अंतिम आंकड़े महीने भर के भीतर उपलब्ध हो जाएंगे, जबकि पहले इसमें लगभग एक साल का समय लगता था।

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प्रशिक्षण और कार्मिक:

जनगणना कार्य निदेशालय के संयुक्त निदेशक शैलेंद्र सिंह नेगी के अनुसार, दिसंबर 2025 से आंतरिक प्रशिक्षण शुरू किया जाएगा। इसमें नेशनल ट्रेनर, मास्टर ट्रेनर, फील्ड ट्रेनर और अंततः प्रगणकों व सुपरवाइजरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, जो घर-घर जाकर गणना करेंगे। इस जनगणना में लगभग 28 हजार कार्मिक लगाए जाएंगे, जबकि 2011 की जनगणना में यह संख्या लगभग 24 हजार थी।

जातिगत जनगणना:

इस बार जातिगत जनगणना का भी निर्णय लिया गया है। यह मुख्य गणना के साथ कुछ अतिरिक्त प्रश्न जोड़कर की जाएगी। हालांकि, जातिगत जनगणना के लिए पूछे जाने वाले विशिष्ट प्रश्न अभी तय नहीं किए गए हैं।

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उत्तराखंड में अब तक की जनगणना की स्थिति:

वर्ष जनसंख्या दशकीय वृद्धि
1971 44,92,744 लागू नहीं
1981 57,25,972 27.44 प्रतिशत
1991 70,50,634 23.13 प्रतिशत
2001 84,89,349 20.40 प्रतिशत
2011 100,86,292 18.81 प्रतिशत

पृष्ठभूमि:

जनगणना प्रत्येक 10 वर्ष के अंतराल पर की जाती है। वर्ष 2011 के बाद अगली जनगणना 2021 में प्रस्तावित थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। अब लगभग चार वर्षों के बाद, जनगणना की तैयारी फिर से शुरू हो गई है।