बीते 10 साल के बाद इस बार लोकसभा में ज्यादा दिखेंगे मुस्लिम सांसद, पार्टियों की तरफ से कम को टिकट दिए जाने के बावजूद इतनी हुई संख्या

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इस बार लोकसभा में मुस्लिम सांसदों का प्रतिनिधित्व पिछले 10 साल के मुकाबले बढ़ा नजर आने वाला है। इस बार लोकसभा में 28 मुस्लिम सांसद चुनकर पहुंचे हैं। हालांकि, पिछली बार के मुकाबले इस बार पार्टियों ने कम ही मुस्लिमों को टिकट दिया था।

2019 में लोकसभा में 26 मुस्लिम सांसद चुनकर पहुंचे थे। इस बार इस संख्या में 2 का इजाफा हुआ है। साल 2014 में 22 मुस्लिम सांसद चुने गए थे। इस बार लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन ने सिर्फ 78 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे। जिस समाजवादी पार्टी पर मुस्लिम परस्त होने का आरोप लगता है, उसके अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सिर्फ 4 मुस्लिमों को ही टिकट दिया था। इनमें माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी भी शामिल हैं। जबकि, सपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 8 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। वहीं, सत्तारूढ़ गठबंधन की बात करें, तो बीजेपी ने 1 और नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने 1 मुस्लिम प्रत्याशी को लोकसभा चुनाव के लिए टिकट दिया था।

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भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे ज्यादा 49 मुस्लिम सांसद 1980 में चुने गए थे। इसके बाद से उनकी संख्या कम ही होती गई है। खासकर 2014 में जब बीजेपी की सरकार केंद्र में आई, तबसे मुस्लिम उम्मीदवारों को भी पार्टियां कम ही तरजीह दे रही हैं। जबकि, इस बार के लोकसभा चुनाव के नतीजे देखें, तो साफ है कि मुस्लिमों ने बढ़-चढ़कर विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवारों को वोट दिया। बीजेपी से पहले भी मुस्लिम किनारा कसते रहे हैं। इस बार लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी से और दूरी बना ली। इसकी बड़ी वजह बीजेपी की तरफ से यूसीसी लाने के वादे और संविधान में बदलाव की अफवाह को माना जा रहा है।

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