उत्तराखंड शिक्षा विभाग: फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र मामले में 52 शिक्षकों पर जांच की तलवार लटकी
उत्तराखंड शिक्षा विभाग में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी पाने के मामले में अब जाकर सख्ती देखने को मिल रही है। मामले के कोर्ट तक पहुँचने के बाद, शिक्षा विभाग ने 52 शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है, जिनके प्रमाण पत्र पूर्व में फर्जी पाए गए थे।
🔎 फर्जीवाड़ा और कानूनी कार्रवाई
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शिकायत का आधार: यह मामला दिव्यांग जनों के हक से खिलवाड़ करने का है। स्वयं दिव्यांग जन फर्जी प्रमाण पत्रों की शिकायतों को लेकर न्यायालय आयुक्त दिव्यांगजन की शरण में पहुँचे थे।
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कोर्ट का हस्तक्षेप: न्यायालय आयुक्त दिव्यांगजन ने जनहित याचिका के आधार पर शिक्षा विभाग से उन शिक्षकों की सूची मांगी, जिनके प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए थे।
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विभाग की कार्रवाई: इसके बाद शिक्षा विभाग ने आनन-फानन में ऐसे शिक्षकों को 15 दिन के भीतर जवाब देने के लिए नोटिस जारी कर दिया। हालांकि, दिव्यांग जन लगातार 2 साल से कार्रवाई की मांग कर रहे थे, लेकिन पहले कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया था।
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अस्पष्ट जवाबदेही: बड़ी बात यह है कि मेडिकल बोर्ड द्वारा ऐसे शिक्षकों को प्रमाण पत्र कैसे दे दिए गए, इस पर अभी तक कोई जवाबदेही तय नहीं हुई है, जबकि जांच के दौरान प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए थे।
🧑🏫 शिक्षा मंत्री ने गठित की समिति
विद्यालयी शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने दिव्यांगता प्रमाण पत्र का गलत लाभ उठाने वाले शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है।
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जांच समिति का गठन: उन्होंने बताया कि इसके लिए विभागीय स्तर पर निदेशक माध्यमिक शिक्षा की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय समिति गठित कर दी गई है।
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कार्य: यह समिति केस-टू-केस के आधार पर शिक्षकों के दिव्यांगता प्रमाण पत्रों की गहन जांच कर अपनी रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराएगी।
📋 52 शिक्षकों की सूची
शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि न्यायालय में योजित जनहित याचिका के क्रम में आयुक्त दिव्यांगजन द्वारा राज्य चिकित्सा परिषद से 52 शिक्षकों की सूची जांच के लिए उपलब्ध कराई गई थी:
| श्रेणी | संख्या |
| प्रधानाध्यापक | 02 |
| प्रवक्ता | 21 |
| सहायक अध्यापक | 29 |
| कुल शिक्षक | 52 |
इन सभी शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिसके क्रम में 20 प्रवक्ता और 9 सहायक अध्यापकों ने अपना जवाब विभाग को उपलब्ध करा दिया है। मंत्री ने स्पष्ट किया कि गलत तरीके से आरक्षण का लाभ उठाने वाले शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कार्मिकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
क्या आप जानना चाहेंगे कि इस तरह के मामलों में फर्जी प्रमाण पत्र धारकों के खिलाफ आमतौर पर क्या कानूनी कार्रवाई की जाती है?
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