नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल की बुधलाकोट ग्राम सभा की वोटर लिस्ट में बाहरी लोगों के नाम शामिल करने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने इस मामले में राज्य चुनाव आयोग की रिपोर्ट को असंतोषजनक बताया और संबंधित एडीएम से कोर्ट में पेश होने को कहा।
एडीएम के अंग्रेजी ज्ञान पर कोर्ट की नाराजगी
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि, “जिस अधिकारी को अंग्रेजी का ज्ञान नहीं है, क्या वो किसी कार्यकारी पद को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकता है?” कोर्ट ने यह सवाल इसलिए उठाया, क्योंकि निर्वाचन आयोग की तरफ से एडीएम स्तर के एक अधिकारी ने कोर्ट द्वारा अंग्रेजी में पूछे गए सवालों का जवाब हिंदी में दिया। कोर्ट ने इस संबंध में राज्य चुनाव आयुक्त और मुख्य सचिव से सोमवार, 28 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जवाब देने को कहा है।
क्या है पूरा मामला?
यह जनहित याचिका नैनीताल जिले के बुधलाकोट ग्राम सभा में पंचायत चुनावों की मतदाता सूची में बाहरी लोगों के नाम शामिल करने को लेकर दायर की गई थी।
- याचिका का आरोप: याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि राज्य चुनाव आयोग ने नियमों के विरुद्ध जाकर बाहरी लोगों के नाम वोटर लिस्ट में शामिल किए हैं।
- आयोग की सफाई: आयोग ने माना कि 20 लोगों के नाम गलत तरीके से लिस्ट में आ गए थे, जिन्हें हटा दिया गया है।
- याचिकाकर्ता का विरोध: याचिकाकर्ता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि अभी भी 52 लोगों के नाम गलत हैं, जिनमें से अधिकतर लोग ओडिशा राज्य के हैं।
इसके बाद, कोर्ट ने आयोग से पूछा कि वोटर लिस्ट किन प्रमाण पत्रों के आधार पर बनाई गई है, और अगर इसका कोई रिकॉर्ड है तो उसे पेश किया जाए। आयोग रिकॉर्ड पेश करने में नाकाम रहा, जिसके बाद कोर्ट ने संबंधित अधिकारी को तलब किया और यह कड़ी टिप्पणी की।
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