कमर से नीचे क्यों नहीं पहने जाते सोने के आभूषण? जानें क्या कहता है ज्योतिष
अक्सर आपने शादीशुदा महिलाओं को पैर में चांदी का बिछिया या पायल पहने देखा होगा. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर महिलाएं शरीर के निचले हिस्से में सोने आभूषण क्यों नहीं पहनती हैं.
आइए जानते हैं कि इसकी वजह क्या है और इससे जुड़ी मान्यताएं क्या-क्या हैं.
Gold Jewelry: आभूषण महिलाओं के श्रृंगार का अहम हिस्सा होते हैं, जिनमें सोने और चांदी के आभूषण प्रमुख माने जाते हैं. इन्हें पहनने के कुछ विशेष नियम होते हैं, जिनका पालन करना शुभ माना जाता है. सोने के आभूषण हमेशा कमर के ऊपर पहने जाते हैं, जबकि चांदी की पायल और बिछिया पैरों में धारण की जाती हैं. धार्मिक परंपरा के के अनुसार, पैर में सोने की पायल और बिछिया नहीं पहनी जातीं. आइए जानते हैं कि आखिर कमर के नीचे सोने का आभूषण पहनना क्यों निषेध है.
कमर के नीचे सोना पहनना वर्जित क्यों?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सोना धन और वैभव की देवी माता लक्ष्मी का प्रतीक है. इसे खरीदना और धारण करना सौभाग्यशाली माना जाता है, खासकर धनतेरस और दिवाली के अवसर पर. चूंकि, सोना माता लक्ष्मी से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे कमर के नीचे पहनना अनुचित माना जाता है, क्योंकि इससे दोष उत्पन्न हो सकता है और माता लक्ष्मी की कृपा बाधित हो सकती है. यही कारण है कि महिलाएं अपने पैरों में सोने की जगह चांदी की पायल और बिछिया पहनती हैं.
पैरों में चांदी की पायल और बिछिया क्यों पहनते हैं?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शरीर में सूर्य और चंद्रमा की ऊर्जा विद्यमान होती है. सोना ऊर्जा को समाहित करता है, इसलिए इसे शरीर के ऊपरी हिस्से में पहनना लाभकारी होता है. जब कोई मंदिर जाता है, तो सोने के आभूषण वहां की सकारात्मक ऊर्जा को आत्मसात करने में मदद करते हैं.
वहीं, चांदी शरीर से नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालने में सहायक होती है. शरीर की अपानवायु नीचे की ओर प्रवाहित होती है, जो शरीर की शुद्धि में सहायक होती है. चांदी के आभूषण पहनने से यह प्रक्रिया सुचारू रहती है और महिलाओं को मासिक धर्म, मूत्र संबंधी क्रियाओं में सहायता मिलती है. ऐसे में अगर पैरों में सोने के आभूषण पहने जाएं, तो यह नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकलने से रोक सकता है. इसलिए परंपरा के अनुसार, कमर के ऊपर सोना और कमर के नीचे चांदी के आभूषण पहनना उचित माना जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हिमालय प्रहरी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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