तपोवन ( चौमोली ): कहते हैं हिम्मत से मौत को भी मात दी जा सकती है। ग्लेशियर फटने से गढ़वाल मंडल के धौलीगंगा व ऋषि गंगा के टूटने से आए सैलाब के बाद तपोवन जल विद्युत परियोजना के टनल में फंसे 12 मजदूरों ने ऐसी ही दिलेरी दिखाकर मौत को मात दी है। मजदूरों ने साढ़े छह घंटे तक मौत की आंखों में आंखें डाल कर जिंदगी की जंग जीत ली।
दरअसल आपदा के समय तपोवन जल विद्युत परियोजना की टनल में 12 मजदूर कार्य कर रहे थे। पानी का सैलाब आने पर उनके कानों में बाहर निकलो बाहर निकलो की आवाज आई। अभी वह कुछ समझ पाते कि टनल में मलवा घुसने लगा। किसी के भी समझ में कुछ नही आ रहा था। मजदूर टनल की दीवारों की सरिया पकड़कर ऊंचाई में खड़े हो गए। टनल में पानी व मलवा तेजी से बढ़ रहा था और मजदूरों की धड़कन भी उसी रफ्तार से बढ़ रही थी। कुछ ही देर में बाहर जाने का रास्ता बंद हो चुका था। टनल में धूप अंधेरा छा गया, एक मजदूर ने मोबाइल की टॉर्च की रोशनी जलाकर एक दूसरे के चेहरे को देखा तो सभी दहशत में थे। मौत सामने हो तो दहशत तो होगी ही। मजदूर नरेंद्र कुमार गौतम के अनुसार सभी लोग भगवान का स्मरण कर अपने बच्चों को याद कर रहे थे। तभी मैंने गाना सुना कर सबका मनोबल बढ़ाया। दूसरे कर्मचारी राकेश भट्ट ने बताया कि कुछ लोग टनल की सरिया पकड़कर खड़े थे तो कुछ लोग टनल में काम में लगी मशीन के ऊपर चढ़ गए। सब लोग ईश्वरीय चमत्कार का इंतजार कर रहे थे। करीब साढ़े छह घंटे बाद बाहर से एक रोशनी की किरण दिखाई दी। आखिरकार देवदूत बनकर आये भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल के जवानों ने उनको बचा लिया।


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