उत्तराखंड: धामी सरकार ने प्रधानाचार्य नियुक्ति नियमावली में संशोधन को दी मंजूरी, अर्द्धकुंभ के लिए 82 पद सृजित

देहरादून: उत्तराखंड की धामी सरकार ने सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्यों की नियुक्ति प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए शिक्षा विभाग की प्रधानाचार्य नियमावली में संशोधन को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया, जहाँ तीन महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मुहर लगी।


 

प्रधानाचार्य भर्ती नियमावली में प्रमुख संशोधन

 

नई नियमावली प्रधानाचार्यों की सीधी भर्ती की प्रक्रिया को बदल देगी। इसमें कई श्रेणियों के शिक्षकों को प्रधानाचार्य पद पर सीमित विभागीय परीक्षा (Limited Departmental Examination) में शामिल होने का अवसर मिलेगा:

  • प्रधानाध्यापक: वे प्रधानाध्यापक जिनकी भर्ती वर्ष के पहले दिन को 2 वर्ष की सेवा पूरी हो चुकी है, वे पात्र होंगे।
  • मौलिक रूप से नियुक्त प्रवक्ता: ऐसे प्रवक्ता जिनके द्वारा 10 वर्ष की सेवा पूरी कर ली गई है।
  • पदोन्नत सहायक अध्यापक एल.टी. (प्रवक्ता पद पर): ऐसे शिक्षक जिन्होंने प्रवक्ता पद पर पदोन्नति के बाद 10 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है।
  • प्रवक्ता एवं सहायक अध्यापक एल.टी. के पद पर सम्मिलित सेवा: ऐसे पदोन्नत शिक्षक जिन्होंने प्रवक्ता और सहायक अध्यापक एल.टी. के पद पर कुल मिलाकर 15 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है।
  • मौलिक रूप से नियुक्त सहायक अध्यापक एल.टी.: ऐसे सहायक अध्यापक एल.टी. जिन्होंने न्यूनतम 15 वर्ष की संतोषजनक सेवा पूरी कर ली है और जो निर्धारित शैक्षिक/प्रशिक्षण योग्यता रखते हैं, वे भी सीमित विभागीय परीक्षा के लिए पात्र होंगे।
  • नॉन-बी.एड. प्रवक्ता: प्रधानाचार्य पद पर भर्ती हेतु पहली बार आयोजित होने वाली सीमित विभागीय परीक्षा में नॉन-बी.एड. प्रवक्ता भी शामिल हो सकेंगे।
  • आयु सीमा में वृद्धि: सीमित विभागीय परीक्षा हेतु अभ्यर्थी की आयु विज्ञप्ति प्रकाशित होने वाले कैलेंडर वर्ष की 1 जुलाई को 50 वर्ष से बढ़ाकर 55 वर्ष की जा रही है।

 

अर्द्धकुंभ 2027 के लिए पदों का सृजन

 

कैबिनेट ने आगामी वर्ष 2027 में हरिद्वार में जनवरी से अप्रैल तक आयोजित होने वाले अर्द्धकुंभ मेले के लिए भी महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। कुंभ मेला-2027 से संबंधित विभिन्न व्यवस्थाओं के लिए मेला अधिष्ठान कार्यालय में कुल 82 पदों को सृजित करने की स्वीकृति दी गई है। इनमें 9 स्थायी, 44 अस्थायी और 29 आउटसोर्स पद शामिल हैं।


 

ई-स्टाम्प व्यवस्था में नवाचार और पारदर्शिता

 

स्टाम्प शुल्क भुगतान में तकनीकी नवाचार और पारदर्शिता लाने के लिए भी कैबिनेट ने एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके तहत डिजिटल ई-स्टाम्पिंग/पेपरलेस ई-स्टाम्पिंग को शुरू करने के लिए 24 अप्रैल, 2023 को उत्तराखण्ड स्टाम्प (ई-स्टाम्प प्रमाण पत्रों के माध्यम से शुल्क का संदाय) (संशोधन) नियमावली, 2023 प्रख्यापित की गई थी।

इस क्रम में, जनता को बैंक परिसर में ही स्टाम्प क्रय की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 की अनुसूची 1-(ख) में वर्णित उत्तराखण्ड राज्य में लागू गैर-पंजीकरण योग्य कुछ अनुच्छेदों को इस नियमावली में शामिल किया गया है। इसमें विशेष रूप से भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 की अनुसूची 1-ख में दिए गए प्रावधान, गैर पंजीकरण योग्य अनुच्छेद 26 कस्टम बांड (Customs Bond) को इस नियमावली में सम्मिलित किया जाना है। इससे सीमा शुल्क के लिए स्टाम्प शुल्क में इलेक्ट्रॉनिक भुगतान संभव हो पाएगा और उत्तराखंड राज्य में बांड निष्पादित करने वाले करदाता इस सुविधा का पूर्ण लाभ उठा सकेंगे।

यह निर्णय राज्य में प्रशासनिक दक्षता और राजस्व संग्रह में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।