देहरादून: उत्तराखंड के बहुचर्चित भूमि खरीद घोटाले में पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले की गहन जांच के बाद उनके, उनकी पत्नी दीप्ति रावत और तीन अन्य के खिलाफ आरोपपत्र (चार्जशीट) दायर कर दिया है।
देहरादून PMLA कोर्ट में दायर हुई चार्जशीट
ईडी की ओर से शुक्रवार को जारी जानकारी के अनुसार, यह चार्जशीट देहरादून स्थित PMLA (विशेष धन शोधन निवारण) अदालत में दायर की गई है। इस आरोपपत्र में बीरेंद्र सिंह कंडारी, लक्ष्मी राणा और श्रीमती पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट का नाम भी शामिल है।
ईडी ने प्रेस रिलीज में बताया, “प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), देहरादून ने PMLA (धन शोधन निवारण अधिनियम), 2002 के प्रावधानों के तहत बीरेंद्र सिंह कंडारी और अन्य के मामले में बीरेंद्र सिंह कंडारी, हरक सिंह रावत, दीप्ति रावत, लक्ष्मी राणा और श्रीमती पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के खिलाफ माननीय विशेष न्यायालय (PMLA), देहरादून के सामने अभियोजन शिकायत (पीसी) दायर की है।”
क्या है पूरा मामला?
प्रेस रिलीज में आगे कहा गया कि ईडी ने सहसपुर, देहरादून, उत्तराखंड में भारतीय दंड संहिता, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज FIR के आधार पर जांच शुरू की थी। जांच के दौरान यह सामने आया कि बीरेंद्र सिंह कंडारी, हरक सिंह रावत, स्वर्गीय सुशीला रानी और अन्य व्यक्तियों द्वारा एक साजिश रची गई थी। इस साजिश के परिणामस्वरूप दीप्ति रावत (हरक सिंह रावत की पत्नी) और लक्ष्मी सिंह राणा जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम पर करने में सफल रहे।
ईडी की जांच में यह भी पता चला कि “माननीय न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद सुशीला रानी ने अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर सहसपुर, देहरादून में स्थित जमीनों की दो पावर ऑफ अटॉर्नी पंजीकृत कीं। इसके अलावा, ये जमीनें पावर ऑफ अटॉर्नी धारक बीरेंद्र सिंह कंडारी, जो हरक सिंह रावत के एक करीबी सहयोगी हैं, द्वारा दीप्ति रावत और लक्ष्मी सिंह राणा को उस राशि पर बेची गईं जो उस क्षेत्र में प्रचलित सर्किल दरों से बहुत कम थीं।”
प्रेस रिलीज के अनुसार, “दीप्ति रावत द्वारा खरीदी गई जमीनें अब दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (श्रीमती पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के तहत संचालित) का हिस्सा हैं, जिसका नियंत्रण हरक सिंह रावत के परिवार और दोस्तों के पास है।”
करोड़ों की संपत्ति कुर्क
ईडी ने बताया कि इससे पहले, जनवरी 2025 में, एक अंतरिम कुर्की आदेश जारी किया गया था, जिसमें देहरादून जिले में जमीन के दो टुकड़े शामिल थे। इसमें लगभग 101 बीघा जमीन कुर्क की गई थी, जिसकी कीमत 6.56 करोड़ रुपये है, जिसका वर्तमान बाजार मूल्य 70 करोड़ रुपये से अधिक बताया जा रहा है। मामले में आगे की जांच जारी है।
इस चार्जशीट से उत्तराखंड के इस हाई-प्रोफाइल घोटाले में नया मोड़ आ गया है। अब देखना होगा कि अदालत में यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है।
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