चॉकलेट खाने से 8 साल के बच्चे की मौत मुंह में रखते ही तड़पने लगा, एक्सपर्ट से जानिए- क्या बच सकती थी जान

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तेलंगाना के वारंगल में चॉकलेट खाने से राजस्थान मूल के 8 वर्षीय मासूम बच्चे की दर्दनाक मौत हो गई। ये ऐसी मौत थी, जिसने सबको चौंका दिया।

जब ये घटना हुई तब 8 साल का संदीप स्कूल में था। उसने जैसे ही चॉकलेट अपने मुंह में रखी, तड़पने लगा। उसे हॉस्पीटल ले जाया गया, लेकिन जान नहीं बचाई जा सकी। करीब 10 दिन पहले ही ये चॉकलेट उसके पिता ऑस्ट्रेलिया से लाए थे। परिवार के बाकी बच्चों ने भी चॉकलेट खाई थी पर संदीप ने इसे खाने के कुछ ही समय बाद इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

संदीप का परिवार करीब 25 सालों से वारंगल में रह रहा है। परिजन मूलरूप से राजस्थान के जालोर जिले के रायथल के रहने वाले हैं।

साथ ही एक्सपर्ट डॉक्टर से भी जाना कि एक चॉकलेट कैसे मौत का कारण बन सकती है? अगर ऐसा हादसा किसी और बच्चे के साथ होता है तो मौके पर उसे बचाया जा सकता है? क्या ऐसे हादसों में बच्चों की जान बचाई जा सकती है?

सबसे पहले जानिए- पूरा घटनाक्रम जो मृतक के पिता खंगार सिंह और चाचा विक्रम सिंह ने बताया….
विक्रम सिंह ने बताया कि खंगार सिंह उसके सबसे बड़े भाई हैं। उनके 3 बेटे और एक बेटी सहित चार बच्चे हैं। राजवीर (12), संदीप (8), कमलेश (5) और रेणुका (7)। शनिवार की सुबह 9 बजे संदीप सहित सभी बच्चों को शारदा स्कूल, वारंगल छोड़ने गया था। स्कूल घर के पास ही है। उन्हें छोड़कर वापस लौटा ही था कि प्रिंसिपल का फोन आ गया। वह हड़बड़ाते हुए बोलीं कि संदीप के गले में चॉकलेट फंस गई है। आप तुरंत एमजीएम हॉस्पिटल पहुंचिए। हम इसे वहां लेकर जा रहे हैं। ये सुनते ही मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। बड़े भाई खंगार सिंह सहित सभी को सूचना दी और स्कूल की तरफ भागा।

संदीप को लेकर हॉस्पिटल पहुंचे, लेकिन तब तक सब कुछ ख़त्म हो गया
विक्रम सिंह ने बताया कि जब वो स्कूल पहुंचे तो प्रबंधन संदीप को लेकर हॉस्पिटल रवाना हो गया था। भाई सहित परिवार के सभी लोग भी पहुंच गए। हॉस्पिटल पहुंचते ही डॉक्टरों ने संदीप को चेक करते हुए डेड घोषित कर दिया। बीच रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया था। डॉक्टर्स बोले कि उसके गले में चॉकलेट फंसने से बच्चे का दम घुट गया। हम वहां पहुंचे तब तक सब कुछ खत्म हो गया।

पिता बोले- ऑस्ट्रेलिया से बच्चों के लिए चॉकलेट लाया था
संदीप के पिता खंगार सिंह ने रुआंसे स्वर में हमें बताया कि महीने भर पहले ही वो 10 दिन के लिए ऑस्ट्रेलिया घूमने गए थे। वहां से बच्चों के लिए चॉकलेट्स लेकर आए थे। बिलकुल नॉर्मल गोल वाली चॉकलेट थी। शनिवार को संदीप वही चॉकलेट लेकर स्कूल गया था। हमारी तो किस्मत ही खराब थी। ऐसे चॉकलेट खाने से बच्चे की जान कहां जाती है?

परिवार में मातम का माहौल, सोमवार को राजस्थान के लिए निकलेगा परिवार
खंगार सिंह ने बताया कि संदीप पूरे परिवार का लाडला था और उनके तो कलेजे का टुकड़ा था। एक दिन पहले उसका अंतिम संस्कार यहीं वारंगल में हुआ है। घर में मातम है। मेरी माता से लेकर पत्नी और पूरा परिवार हर घड़ी उसे याद कर कर रो रहे हैं। अब पूरा परिवार सोमवार शाम को राजस्थान के लिए रवाना होगा। गांव में बड़े-बुजुर्गों को क्या कहूंगा? ये सोच कर ही कांप जाता हूं।

डॉक्टर्स ने बताया दम घुटने से गई जान
वारंगल पुलिस के अनुसार वहां शारदा स्कूल की दूसरी क्लास में पढ़ने वाला संदीप राजपुरोहित शनिवार को घर से कुछ चॉकलेट्स लेकर स्कूल गया। जिन्हें वहां खाने के बाद वह हांफने लगा और उसे सांस लेने में परेशानी होने लगी। टीचर ने स्कूल अथॉरिटी को इस बात की जानकारी दी। इसके बाद उसे हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन उसकी जान नहीं बच पाई। डॉक्टरों ने दम घुटने को मौत की वजह बताया है।

एक्सपर्ट के मुताबिक गले वाला एरिया (नेक) काफी पतला होता है। इसमें से होकर 2 नलियां गुजरती हैं।

  • पहली सांस की नली, दूसरी खाने की नली। दोनों के बीच एक एपिग्लोटिस (एक तरह का ढक्कन) होती है, जो ये डिसाइड करती है कि आप खाना खाएंगे या सांस लेंगे।
  • आप मुंह से खाना भी खाते हैं और सांस भी लेते हैं, लेकिन दोनों एक साथ नहीं कर सकते हैं। ऐसा आप खुद करके देखिए, आप सांस लेते हुए कोई चीज गटक यानी निगल नहीं सकते हैं।
  • मतलब ये है कि खाना खाते समय एपिग्लोटिस श्वास नली को ढक देता है। जैसे ही खाना आहार नाल में आगे खिसकता है तब यह ढक्कन अपने आप हट जाता है ताकि सांस लिया जा सके।
  • खाने की नली में कुछ फंसने से मौत नहीं हो सकती है। उसमें जाने वाली चीज या तो अंदर चली जाती है या फिर आप खांसी के जरिए उसे बाहर कर देते हैं। इसमें आपको उल्टी, खांसी या निमोनिया जैसी दिक्कत हो सकती है। मौत का खतरा तब होता है, जब खाना सांस की नली में फंस जाता है।
  • छोटे बच्चों के गले में कोई चीज फंसने का खतरा ज्यादा क्यों रहता है?
    छोटे बच्चों का एपिग्लोटिस सॉफ्ट होता है, इसलिए कई बार चीजें सांस की नली में जल्दी चली जाती हैं। बच्चों की सांस की नली बड़ों के मुकाबले छोटी होती है, वो खांसकर कोई चीज बाहर नहीं कर पाते हैं। ऐसी सिचुएशन में उनकी मौत हो सकती है।

  • याद रखें- सांस की नली में कोई चीज फंस जाए तो उसे बाहर निकालने के लिए सबसे अच्छा तरीका है मरीज को खांसी आए या वो खुद खांसने की कोशिश करे। इससे खाने की चीज बाहर निकालने में मदद मिलती है।