धामी की ऐतिहासिक जीत से बन गया रिकॉर्ड, कांग्रेस के इस रिकॉर्ड को तोड़कर कर दिया कमाल

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऐतिहासिक जीत के साथ ही एक नया​ रिकॉर्ड बना दिया है। सीएम धामी ने अब तक की सीएम के लिए हुए सीएम के उपचुनावों में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। सीएम धामी ने 54 हजार 121 वोटों से जीत दर्ज कर पूर्व सीएम विजय बहुगुणा का 40 हजार 154 वोट का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।

सीएम धामी की धमक उपचुनाव में भी नजर आई है। सीएम धामी ने चंपावत के रण में कांग्रेस को जबरदस्त पटखनी दी है। इस जीत के साथ धामी ने एक नया रिकॉर्ड भी कायम कर दिया है। अब तक सबसे अधिक वोटों के अंतर से उपचुनाव जीतने का रिकॉर्ड मुख्यमंत्री के तौर पर विजय बहुगुणा के नाम दर्ज था। लेकिन अब ये रिकॉर्ड धामी ने बना दिया है। अब तक के सीएम रहते उपचुनाव के इतिहास परन एक नजर डालें तो सबसे पहले 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने रामनगर से उपचुनाव लड़ा और भाजपा के राम सिंह को 9693 वोटों के अंतर से हराया था। 2007 में भाजपा के जनरल बीसी खंडूड़ी ने धुमाकोट से उपचुनाव लड़ा। खंडूड़ी के कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी को 14171 मतों के अंतर से हराया। 2012 में कांग्रेस के सीएम विजय बहुगुणा ने सितारगंज से उपचुनाव लड़े। भाजपा ने उनके खिलाफ प्रकाश पंत को मैदान में उतारा। बहुगुणा ने यह चुनाव 40154 वोटों के अंतर से जीता। जो कि रिकॉर्ड बन गया। अब इस सीट पर विजय बहुगुणा के पुत्र सौरभ बहुगुणा विधायक और सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। 2014 में विजय बहुगुणा के इस्तीफे के बाद हरीश रावत मुख्यमंत्री बने। जिनके लिए धारचूला से कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने सीट छोड़ी। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने धारचूला से उपचुनाव लड़ा। रावत ने भाजपा के भानु दत्त को 20600 वोटों के अंतर से चुनाव हराया।

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उत्तराखंड में अब तक 5 बार मुख्यमंत्री उपचुनाव लड़ चुके हैं। जिनमें एनडी तिवारी, हरीश रावत और पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी ही पार्टी के विधायकों ने सीट छोड़ी जबकि बीसी खंडूरी के लिए कांग्रेस और विजय बहुगुणा के लिए तब भाजपा के विधायक ने सीट छोड़ी थी। उत्तराखंड के इतिहास में मुख्यमंत्री के लिए तक 5 बार उपचुनाव हो चुके हैं। 2002 में​पहली कांग्रेस की सरकार में एनडी तिवारी को सीएम चुना गया। एनडी तिवारी ने रामनगर सीट से चुनाव लड़ा। इसके बाद 2007 में भाजपा सरकार में तत्कालीन सीएम बीसी खंडूरी के लिए कांग्रेस के विधायक टीपीएस रावत ने सीट छोड़ी थी। पहले खंडूरी के लिए निर्दलीय विधायक यशपाल बेनाम को सीट छोड़ने को कहा गया लेकिन जब वे नहीं माने तो भाजपा ने कांग्रेस में सेंधमारी कर धुमाकोट सीट से टीपीएस रावत को इस्तीफा दिलाकर चुनाव जीताया। उस समय पूर्व सीएम​रमेश पोखरियाल निशंक की भी इस प्रकरण में अहम भूमिका मानी जाती है। 2012 में कांग्रेस के पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के लिए सितारगंज से भाजपा के विधायक किरण मंडल को इस्तीफा दिलवाकर कांग्रेस में शामिल किया और बहुगुणा इसी सीट से विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 2014 में हरीश रावत के लिए कांग्रेस के​ही विधायक हरीश धामी ने धारचूला सीट छोड़ी थी। जिसके बाद वे विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे। इस बार पुष्कर सिंह धामी के सामने कांग्रेस की निर्मला गहतोड़ी चुनाव मैदान में थी। धामी के लिए चंपावत के भाजपा के ही विधायक कैलाश गहतोड़ी ने सीट छोड़ी थी। सीएम धामी ने निर्मला गहतोड़ी को 54 हजार 121 रिकॉर्ड वोटों से हराकर रिकॉर्ड बना दिया है।

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अब तक के विधानसभा उपचुनाव के परिणाम

प्रत्याशी जीत का अंतर
एनडी तिवारी 9693
बीसी खंडूड़ी 14171
विजय बहुगुणा 40154
हरीश रावत 20600
पुष्कर सिंह धामी 54121