पानीपत। ऑस्कर अस्पताल में डॉक्टर की लापरवाही के कारण मंगलवार को 22 वर्षीय प्रवीण की जान चली गई। पांच दिन पहले 17 जनवरी को गढ़ी सिकंदर का प्रवीण अपने छोटे भाई नवीन के साथ जीटी रोड स्थित ऑस्कर अस्पताल आया था।
उसके एक हाथ और पैर में दिक्कत थी। सुन्न हो जाते थे।
यहां डाक्टर सुशांत दत्ता ने सिर में पस बताते हुए आयुष्मान कार्ड से ऑपरेशन कराने की सलाह दी और तीन दिन में छुट्टी देने की बात कही। इसके बाद उसे वेंटिलेटर पर रख दिया। सोमवार की सुबह पांच बजे मृत घोषित कर दिया।
प्रवीण के अंगूठे पर नीली स्याही देख स्वजन भड़क गए। डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने स्थिति को संभाला और शव का पोस्टमार्टम कराया। प्रवीण शादीशुदा था।
ऑपरेशन पर एक लाख का खर्च बताया
बता दें कि आस्कर अस्पताल पर पहले भी गलत ऑपरेशन करने के आरोप लगते रहे हैं। पोस्टमार्टम हाउस के बाहर नवीन ने बताया कि बड़े भाई प्रवीण के पैर और हाथ में परेशानी थी। जब अस्पताल पहुंचे और जांच कराई तो डॉक्टर ने कहा कि इसके सिर का ऑपरेशन करना पड़ेगा।
तीन दिन में मरीज बिल्कुल स्वस्थ हो जाएगा। ऑपरेशन पर करीब एक लाख खर्च आएगा। बताया कि आयुष्मान कार्ड से ऑपरेशन हो जाएगा। दवाओं का अलग से भुगतान करना होगा। इस पर वे तैयार हो गए। 17 को ऑपरेशन के बाद से ही प्रवीण को वेंटिलेटर पर रखा गया और 19 जनवरी को डॉक्टर ने बताया कि आयुष्मान की लिमिट खत्म हो चुकी है।
अब वेंटिलेटर का 40 हजार रुपये रोजाना का खर्च देना होगा। इस पर भी स्वजन तैयार हो गए। प्रवीण के शरीर में कोई हलचल नहीं हो रही थी। रात करीब साढ़े आठ बजे डॉक्टर सुशांत ने उन्हें बुलाया और कहा कि प्रवीण कोमा में चला गया है होश कब तक आएगा कुछ कहा नहीं जा सकता।
उन्होंने रिश्तेदार अस्पताल में बुला लिये। 20 जनवरी को सुबह करीब साढ़े पांच बजे प्रवीण को मृत घोषित कर दिया। उसके बड़े भाई प्रवीन की तीन साल पहले कोमल के साथ शादी हुई थी।
पहले भी गलत ऑपरेशन के लग चुके हैं आरोप
सात महीने पहले मतलौडा के वैसर गांव के राजमिस्त्री रणबीर ने आरोप लगाया था कि उसके चलने-फिरने में परेशानी थी। डॉ. सुमित और रघुवीर को सात महीने पहले दिखाया। डॉक्टरों ने घुटने का ऑपरेशन कराने की सलाह दी।
13 मई 2024 को ऑस्कर अस्पताल में डॉ. हर्ष व विवेक पांडे ने जांच के बाद दाएं पैर का ऑपरेशन के लिए कहा। 13 मई को उसे वहीं पर भर्ती करके 14 मई की रात ऑपरेशन किया गया। जब उसे होश आया तो उसने देखा कि उसका दाहिना पैर तो ऐसे ही था, जबकि बाएं पैर के घुटने का ऑपरेशन कर दिया। यह मामला समाधान शिविर तक पहुंचा था।
मां बोलीं- मेरा बेटा जिंदा कर दो डॉक्टर
घटना की वीडियो क्लिप वायरल हो रही है। इसमें नौजवान बेटे का शव देख विलाप कर रही मां कह रही है मेरा बेटा जिंदा कर दो डॉक्टर…। वह खुद चलता हुआ अस्पताल आया था, तुमने ऐसा कौन सा ऑपरेशन किया कि वह कोमा में चला गया और उसके बाद भगवान का प्यारा हो गया।
ऑपरेशन के बाद से ही मरीज को वेंटिलेटर पर रखा था, मिलने नहीं दिया गया। 20 को सुबह होते ही मृत घोषित कर दिया। जब आइसीयू में बेड पर भाई का शव देखा तो उसके अंगूठे में नीली स्याही लगी थी। शक जाहिर करने पर डॉक्टर ने जवाब देने के बजाय अस्पताल से चला गया।
– नवीन, मृतक का भाई।
मरीज जब अस्पताल आया, तब उसकी हालत ज्यादा खराब थी। ऑपरेशन से पहले उसके परिवार वालों को स्थिति से अवगत करा दिया गया था। ऑपरेशन के बाद मरीज की हालत बिगड़ गई और उसे वेंटिलेटर पर रखा गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका और उसकी मौत हो गई। इसमें डॉक्टर की कोई लापरवाही नहीं है।
– हर्ष गिरधर, प्रबंध निदेशक आस्कर अस्पताल।
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