प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार लाल किले की प्राचीर से यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र किया। अब इस बात का जिक्र होना कोई नई बात नहीं है, बीजेपी का तो यह पुराना एजेंडा रहा ही है, साथ ही साथ पीएम मोदी ने भी कई मौकों पर इस मुद्दे को उठा रखा है।
लेकिन विपक्ष को चित करने के लिए इस बार पीएम मोदी ने अपने सियासी पिटारे से एक नया तीर छोड़ा है। उन्होंने बड़ी ही चालाकी से इस बार यूनिफॉर्म सिविल कोड को सेकुलर सिविल कोड बता दिया है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड: पीएम मोदी नया सियासी दांव
इस समय ऐसी चर्चा चल रही है कि पीएम मोदी ने सिर्फ एक शब्द ही तो बदला है, इससे क्या ही असर पड़ जाएगा? उन्होंने सिर्फ यूनिफॉर्म की जगह सेकुलर बोल दिया है, लेकिन अगर ध्यान से समझने की कोशिश हो तो इसे ही सबसे बड़ी रणनीति माना जाएगा। अगर थोड़ा पीछे चला जाए तो पता चलता है कि बीजेपी को सबसे ज्यादा हमले यह बोलकर होते हैं कि पार्टी सांप्रदायिक है, उसकी तरफ से हिंदू-मुस्लिम किया जाता है। इसी वजह से जब बीजेपी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की बात कही, विपक्ष ने तुरंत इसे ‘हिंदू सिविल कोड’ की तरह पेश किया, दिखाने की पूरी कोशिश की कि देश की सबसे बड़ी पार्टी अपने पुराने हिंदुत्व वाले एजेंडे पर आगे बढ़ रही है, उसे बस मुस्लिमों को दबाने का काम करना है।
सेकुलर शब्द इस्तेमाल होने का असल कारण?
अब इस नेरेटिव से लड़ने के लिए ही पीएम मोदी ने बड़ा वाला खेल कर दिया है। स्वतंत्रता दिवस की स्पीच में उन्होंने जानबूझकर इस बार सेकुलर सिविल कोड का जिक्र किया है। सेकुलर का मतलब होता है धर्मनिर्पेक्षता, यानी कि किसी के साथ धर्म के आधार पर कोई भेदभाव ना हो। अब पीएम मोदी ने इसी वजह से अपने यूनिफॉर्म सिविल कोड को सेकुलर सिविल कोड बता दिया है। ऐसा कर सभी को मैसेज दिया गया है कि यूसीसी किसी एक धर्म पर लागू नहीं होने वाला है बल्कि इसके जरिए तो जाति-धर्म से ऊपर सभी पर समान कानून लागू होंगे।
विपक्ष के लिए क्यों बड़े खतरे की घंटी?
जानकार मानते हैं कि सेकुलर शब्द का तोड़ निकालना विपक्ष के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। जिस बात को आधार बनाकर हमला हो रहा था, उसी को पीएम मोदी ने खत्म कर दिया। ऐसे में यूसीसी का विरोध करना ही विपक्ष को भारी पड़ सकता है। जानकार इसे पीएम मोदी का सियायी चक्रव्यूह मानते हैं जिसे अगर नहीं तोड़ा गया तो विपक्ष की इस मुद्दे पर करारी हार संभव है।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
यूनिफॉर्म सिविल कोड को हिंदी में समान नागरिक संहिता कानून कहा जाता है। अपने नाम के मुताबिक अगर ये किसी भी देश में लागू हो जाए तो उस स्थिति में सभी के लिए समान कानून बन जाएंगे। अभी भारत में जितने धर्म, उनके उतने कानून रहते हैं। कई ऐसे कानून भी हैं जो सिर्फ मुस्लिम समुदाय पर लागू होते दिखते हैं। ऐसे ही हिंदुओं के भी कुछ कानून चलते हैं। लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड के आने से ये सब खत्म हो जाता है, जाति-धर्म से ऊपर उठकर सभी के लिए समान कानून बन जाता है।
भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से क्या बदलेगा?
इसका उत्तर बिल्कुल सरल है, अगर भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाता है तो हर धर्म-मजहब के लिए एक समान कानून बन जाएगा। वैसे कानून में एक शब्द का कई बार इस्तेमाल होता है- पर्सनल लॉ। पर्सनल लॉ वो कहलाते हैं जिन्हें धर्म, जाति, विश्वास के आधार पर तैयार किया जाता है। शादी, तलाक, एडोप्शन, फैमिली प्रॉपर्टी, वसीहत जैसे जितने भी मामले होते हैं, ये सब अभी तक पर्सनल लॉ के अंदर ही आते हैं। अगर मुस्लिम समाज में बात करें तो वहां जैसे अभी तीन शादियां, तीन तलाक जैसी नियम चलते हैं, यूनिफॉर्म सिविल कोड आने से ये सब भी बदल जाएगा। फिर शादियों में भी एक ही कानून चलेगा।












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