कांग्रेस नेता राहुल गांधी अमेरिका की यात्रा पर हैं। टेक्सास में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर अपने विचार शेयर किए। राहुल गांधी ने कहा कि भारत में कोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं डरता।
कोई भाजपा से नहीं डरता।
राहुल गांधी ने कहीं ये खास बातें
1-RSS का मानना है कि भारत एक विचार है और हमारा मानना है कि भारत विचारों की बहुलता है। हमारा मानना है कि सभी को सपने देखने की अनुमति दी जानी चाहिए, चाहे वह किसी भी जाति, भाषा या धर्म से हो।
2- आम चुनाव में भारत के लाखों लोगों ने समझा कि प्रधानमंत्री संविधान पर हमला कर रहे हैं। भाजपा हमारी परंपरा, भाषा, राज्यों और इतिहास पर हमला कर रही है। भाजपा का डर गायब हो गया है। भारत में कोई भी भाजपा या भारत के प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) से नहीं डरता।
3- भारत जोड़ो यात्रा ने मेरे काम के बारे में सोचने के तरीके को बदल दिया है। इसने राजनीति को देखने के मेरे तरीके को बदल दिया है। राजनीति में प्रेम के विचार से परिचय हुआ। ज्यादातर देशों में राजनीतिक चर्चा को देखें तो आपको प्रेम शब्द कभी नहीं मिलेगा। आपको नफरत, गुस्सा, अन्याय, भ्रष्टाचार, ये सभी शब्द मिलेंगे, लेकिन शायद ही कभी ‘प्रेम’ शब्द मिलेगा। भारत जोड़ो यात्रा ने वास्तव में उस विचार को भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में पेश किया।
4- भारत में कौशल की कोई कमी नहीं है। अगर देश उत्पादन के लिए खुद को तैयार करना शुरू कर दे तो चीन को टक्कर दे सकता है।
5- व्यवसाय प्रणाली और शिक्षा प्रणाली के बीच की खाई को पाटने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। एजुकेशन सिस्टम किसी विचार का कब्जा नहीं होना चाहिए।
6- पश्चिम में रोजगार की समस्या है। भारत में रोजगार की समस्या है, लेकिन दुनिया के कई देशों में यह समस्या नहीं है। चीन और वियतनाम में रोजगार की समस्या नहीं है।
7- 1940, 50 और 60 के दशक में अमेरिका वैश्विक उत्पादन का केंद्र था। कार, वाशिंग मशीन या टीवी सब अमेरिका में बनाया जाता था। उत्पादन अमेरिका से कोरिया और फिर जापान गया। अंततः यह चीन चला गया। आज चीन वैश्विक उत्पादन पर हावी है।
8-सुनना बोलने से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। सुनने का मतलब है खुद को आपकी स्थिति में रखना। अगर कोई किसान मुझसे बात करता है तो मैं खुद को उनके दैनिक जीवन में शामिल करने की कोशिश करूंगा और समझूंगा कि वे क्या कहना चाह रहे हैं।
9- विपक्ष का मूल उद्देश्य लोगों की आवाज बनना है। संसद चलता है तो मैं देश के लोगों की आवाज उठाता हूं। इसके बाद सवाल बना रहता है कि मैं भारत के लोगों के मुद्दों को कहां और कैसे उठा सकता हूं। आपको व्यक्ति, समूह, उद्योग, किसानों के नजरिए से सोचना होगा। उनके लिए आवाज उठानी होगी।
10- अक्सर ऐसा होता है कि जब आप कोई मुद्दा देखते हैं तो आपको उसकी बारीकियां और जटिलताएं समझ में आती हैं। आप उसी के अनुसार अपने दिन की योजना बनाते हैं। संसद के दौरान सुबह-सुबह कोई वहां जाता है और वहां युद्ध होता है। युद्ध सुखद और मजेदार होता है, लेकिन कभी-कभी बुरा भी हो जाता है।
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