दिवाली के बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड का बनेगा कानून, देश का पहला राज्य बनने की धामी सरकार की ये है तैयारी
उत्तराखंड में धामी सरकार दिवाली के बाद बड़ा कदम उठाने जा रही है। सरकार की ओर से यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र भी बुलाया जा सकता है।
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि कमेटी का मसौदा आने के बाद समान नागरिक संहिता को लागू करने की प्रक्रिया में देरी नहीं की जाएगी। धामी ने कहा, ‘हम पहले ही कह चुके हैं कि जैसे ही हमें UCC के लिए बनाई गई ड्राफ्ट कमेटी का मसौदा मिलेगा बिना ज्यादा रोक-टोक के हम प्रक्रियाओं को पूरा करने का प्रयास करेंगे, ताकि आगे की कार्यवाही सफलतापूर्वक पूरी की जा सके।
बता दें कि बीते दिनों विशेषज्ञ समिति ने कार्यालय का सामान शासन को हस्तांतरित करने के लिए अधिकारी नामित करने का अनुरोध किया। समिति के अपर सचिव प्रताप सिंह शाह ने इस संबंध में गृह विभाग को एक पत्र भी लिखा है। यूसीसी की विशेषज्ञ समिति का कार्यकाल 27 जनवरी 2024 को पूरा होना है। प्रदेश सरकार ने 27 सितंबर से चार माह का कार्यकाल बढ़ा दिया था। लेकिन समिति के अपर सचिव के पत्र से साफ संकेत मिल रहे हैं कि वह जल्द रिपोर्ट सौंप सकती है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी दिल्ली दौरे के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी विशेषज्ञ समिति के सदस्य यूसीसी की रिपोर्ट की प्रगति के संबंध में जानकारी दे चुके हैं। इसके बाद से ही यूसीसी को लेकर उत्तराखंड में कयासबाजी शुरू हो गई है। जिससे जल्द ही लागू करने पर चर्चा तेज हो गई है।
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपने दूसरे कार्यकाल में चुनाव जीतने के बाद यूसीसी लागू करने की दिशा में कदम उठाते हुए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का ऐलान किया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित की। उसका कार्यकाल तीन बार बढ़ाया गया था। पांच सदस्यीय इस कमिटी ने मसौदे के लिए 2.33 लाख लोगों और विभिन्न संगठनों, संस्थानों और आदिवासी समूहों से राय ली थी।
दिवाली के बाद उत्तराखंड सरकार समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक को कानूनी दर्जा देने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुला सकती है। यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन सकता है। समान नागरिक संहिता विधेयक का उद्देश्य विवाह पंजीकरण, बच्चे की हिरासत, तलाक, संपत्ति के अधिकार जैसे व्यक्तिगत कानूनों में एकरूपता लाना है।












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