देहरादून: जलालुद्दीन उर्फ ‘छांगुर’ गिरोह की ओर से देहरादून में धर्मांतरण का एक और मामला सामने आया है। इस बार गिरोह ने एक 28 वर्षीय BSC पास युवती को निशाना बनाया, जिसे पाकिस्तान से जूम एप के माध्यम से कुरान की तालीम दी जा रही थी। इस मामले में प्रेमनगर थाने में उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार अधिनियम 2018 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है, और छह आरोपियों के नाम सामने आए हैं।
कैसे हुआ मतांतरण?
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह और एसपी देहात जया बलूनी ने बताया कि यह मामला रानी पोखरी की मरियम से पूछताछ के दौरान सामने आया। पीड़िता सुमैया (नाम बदला हुआ) मूल रूप से बरेली की रहने वाली है और देहरादून में पढ़ाई के लिए आई थी।
- ऑनलाइन संपर्क: अपनी पेंटिंग की बिक्री के लिए इंटरनेट मीडिया का सहारा लेते हुए, सुमैया ‘रिवर्ट टू इस्लाम’ नाम के कई ग्रुप से जुड़ी। इन ग्रुपों के जरिए उसका संपर्क पाकिस्तान, मिस्र और यूके के लोगों से हुआ।
- लूडो एप का इस्तेमाल: युवती ने एक पाकिस्तानी एप ‘लूडो स्टार’ डाउनलोड किया, जिसके माध्यम से वह पाकिस्तान के मौलवी तनवीर अहमद के संपर्क में आई। मौलवी ने उसे मुफ्त में कुरान पढ़ाने का प्रस्ताव दिया।
- जूम एप पर तालीम: कश्मीर के पुलवामा की एक युवती ने जूम एप पर सुमैया को कुरान की तालीम दी। इस दौरान उसे कश्मीर आने के लिए भी प्रेरित किया गया।
- ब्रेनवॉश और कलमा: गिरोह के लोग गर्मजोशी से उसका मनोबल बढ़ाकर उसे इस्लाम के लिए प्रेरित करते थे। साल 2022 में उसकी बरेली की दोस्त ने जूम पर ही उसे कलमा पढ़कर धर्मांतरण की घोषणा करने को कहा।
पाकिस्तान और दुबई तक जुड़े हैं तार, पैसों का भी लेनदेन
पूछताछ में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जब सुमैया कुरान पढ़ाने के लिए मौलवी तनवीर अहमद को शुल्क देना चाहती थी, तो उसे बताया गया कि सीधे पैसे भेजने से वह शक के दायरे में आ जाएगी। इसलिए, भारत के अन्य लोग जो मौलवी को पैसे भेजना चाहते थे, वे सुमैया के खाते में रकम डालते थे। यह रकम फिर दुबई के रास्ते मौलवी तक पहुँचती थी। सुमैया ने कुछ ट्रांजेक्शन तहसीन के खाते में भी किए हैं।
छह आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज
पुलिस ने इस मामले में छह लोगों के नाम उजागर किए हैं, जिनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इनमें:
- अब्दुल रहमान उर्फ महेंद्र पाल सिंह (निवासी भगत विहार, करावल नगर) और उसके दो बेटे अब्दुल रहीम व अब्दुल्ला।
- अब्दुर रहमान उर्फ रुपेंद्र सिंह उर्फ प्रताप उर्फ शंभू (निवासी मोहम्मद हुकुमतपुर, शंकरपुर, सहसपुर)।
- आयशा उर्फ कृष्णा (निवासी ओल्ड गोवा)।
- सुलेमान (निवासी कांवली)।
पुलिस ने बताया है कि गिरोह से जुड़े कुछ व्यक्तियों को आगरा पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। क्या आपको लगता है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और गेमिंग एप का इस तरह के अपराधों में इस्तेमाल एक नई चुनौती है?
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