बागेश्वर उपचुनाव : सहानुभूति के चक्रव्यूह को भेदना आसान नहीं! बीजेपी से पार्वती तो कांग्रेस ने बसंत पर खेला दांव
उत्तराखंड के बागेश्वर उपचुनाव को लेकर सियासत का पारा चढ़ गया है. बागेश्वर उपचुनाव पर पूरे प्रदेश की नजर टिकी हुई है, ये चुनाव पार्टियों की लोकसभा रणनीति तय करेगा.
बागेश्वर उपचुनाव बीजेपी और कांग्रेस के लिये नाक की लड़ाई बन गई है. सत्ताधारी बीजेपी ने जहां दिवंगत मंत्री चंदन राम दास की पत्नी पार्वती दास को चुनावी मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुए एडवोकेट बसंत कुमार को अपना कैंडिडेट घोषित किया है.
सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने दिवंगत मंत्री चंदन राम दास की पत्नी पार्वती दास को मैदान में उतारकर ये संदेश दिया है कि पार्टी इस सीट को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. पार्टी दिवंगत मंत्री चंदन राम दास के विकास कार्यों और सहानुभूति फैक्टर के साथ मैदान में उतरेगी. एक कार्यक्रम में बीजेपी प्रत्याशी पार्वती दास ने कहा कि वे मंत्री जी के कार्यों को आगे बढ़ाएंगी और बागेश्वर का विकास उनकी प्राथमिकता रहेगी.
दूसरी ओर कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुए एडवोकेट बसंत कुमार को अपना कैंडिडेट घोषित किया है. बसंत कुमार के कांग्रेस में आने से कांग्रेस अपने को चुनावी गणित में बीजेपी से आगे मान रही है. कांग्रेस का मानना है कि बसंत के कांग्रेस आगमन से वो बीजेपी को कड़ी टक्कर देंगे, बल्कि चुनाव भी जीतेंगे. वैसे बसंत कुमार का अब तक राजनीती इतिहास है कि उन्होंने अभी तक दो विधानसभा चुनाव लड़े हैं. बसंत ने 2017 विधानसभा में बसपा से चुनाव लड़कर लगभग 14 हजार वोट हासिल किए. 2022 में बसंत ने आप से चुनाव लड़ा और लगभग 16 हजार वोट हासिल किए.
यहां ये बताना भी जरूरी है कि पहाड़ की इस सुरक्षित सीट पर न बसपा का और न ही आम आदमी पार्टी का कोई खास जनाधार है. अगर बसंत कुमार को इतने वोट मिले तो वो सिर्फ उनके प्रभाव से मिले थे. बताया जा रहा है कि इसी को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया; ताकि कांग्रेस का कैडर वोट और बसंत कुमार का वोट बैंक मिलाकर बीजेपी को परास्त कर सकता है. इसी का नतीजा है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ये दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस विधानसभा उपचुनाव बड़े अंतर से जीतेगी.
बीजेपी की सहानुभूति फैक्टर के सामने कांग्रेस का बसंत फैक्टर कितना कारगर साबित होगा ये आने वाला आठ सितंबर तय करेगा. मिली जानकारी के अनुसार, 16 अगस्त को बीजेपी कांग्रेस अपने अपने प्रत्याशी का धूम धाम से नामंकन कराएंगे. अब बागेश्वर उपचुनाव हर दिन नये कलेवर के साथ सामने आ रहा है.
बहरहाल, अभी तक एकतरफा जीत का दावा कर रही बीजेपी अब बसंत के कांग्रेस आगमन पर थोड़ा सतर्क जरूर हो गई है. साथ ही जहां कांग्रेस को अपनी बसंत+कांग्रेस गणित पर जीत का भरोसा हो रहा है तो वहीं भाजपा अपने संगठन और सिम्पैथी फैक्टर पर जीत के लिये आश्वस्त है. किसका फैक्टर इस रण में कामयाब रहता है ये वक्त तय करेगा.












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