दहेज हत्या मामले में बड़ा फैसला पति, वरिष्ठ अधिवक्ता अंबरीश अग्रवाल के मजबूत तर्कों से सास व ननद को न्यायालय से राहत, सभी आरोपों से बरी

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दहेज हत्या मामले में बड़ा फैसला

पति, सास व ननद को न्यायालय से राहत, सभी आरोपों से बरी

राजू अनेजा,काशीपुर। दहेज हत्या के एक चर्चित मामले में न्यायालय प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, काशीपुर ने अहम फैसला सुनाते हुए पति, सास और ननद को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। न्यायालय ने अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों और बचाव पक्ष की दलीलों का गहन परीक्षण करने के बाद यह निर्णय सुनाया।

प्रकरण के अनुसार, 19 नवंबर 2021 को उदल सिंह ने थाना जसपुर में तहरीर देकर आरोप लगाया था कि उसकी पुत्री अंजू देवी का विवाह अप्रैल 2021 में शिवम कुमार, निवासी सूरजपुर, जसपुर के साथ हुआ था। आरोप था कि विवाह के बाद पति शिवम कुमार, सास मीना देवी तथा ननद आंचल अंजू को दहेज के लिए लगातार प्रताड़ित करते थे। तहरीर में यह भी आरोप लगाया गया कि इसी प्रताड़ना के चलते 19 नवंबर 2021 को अंजू देवी के साथ मारपीट कर उसकी हत्या कर दी गई।

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मामले में पुलिस द्वारा विवेचना उपरांत पति शिवम कुमार, सास मीना देवी व ननद आंचल के विरुद्ध दहेज हत्या की धाराओं में चार्जशीट दाखिल की गई। इसके बाद मामला प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, काशीपुर की अदालत में विचाराधीन रहा। अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 12 गवाह न्यायालय में पेश किए गए, जिनमें तत्कालीन पुलिस अधिकारी आईपीएस अक्षय प्रहलाद कोण्डे भी शामिल रहे।

वहीं अभियुक्तगण की ओर से अधिवक्ता अमरीश अग्रवाल, मुनिदेव विश्नोई एवं भारत भूषण ने प्रभावी पैरवी करते हुए अभियोजन के आरोपों को तथ्यहीन बताया। बचाव पक्ष ने न्यायालय को अवगत कराया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मृतका के शरीर पर किसी भी प्रकार के मारपीट या खरोंच के निशान नहीं पाए गए थे। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख था कि अंजू देवी के पेट में भोजन मौजूद था, जो मारपीट अथवा संघर्ष की संभावना को कमजोर करता है।

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अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि यदि मारपीट की गई होती तो शरीर पर चोट के स्पष्ट निशान अवश्य होते। इसके अतिरिक्त मृतका का शव फांसी के फंदे पर लटका मिला था तथा गले पर पाया गया लिगेचर मार्क फांसी से उत्पन्न होना स्वाभाविक है। ऐसे में दहेज हत्या का आरोप प्रमाणित नहीं होता।

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बचाव पक्ष की दलीलों और प्रस्तुत साक्ष्यों से संतुष्ट होकर न्यायालय प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, काशीपुर ने अभियुक्तगण पति शिवम कुमार, सास मीना देवी एवं ननद आंचल को संदेह का लाभ देते हुए सभी आरोपों से बरी कर दिया।

न्यायालय के इस फैसले के बाद अभियुक्त पक्ष ने राहत की सांस ली, जबकि यह निर्णय न्यायिक साक्ष्यों के आधार पर दिए जाने वाले फैसलों का एक और उदाहरण माना जा रहा है।