पटना: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। जहाँ एनडीए और महागठबंधन अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं, वहीं प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने चुनावी गणित को और दिलचस्प बना दिया है। इस बीच, Ascendia ने ‘बैटल ऑफ बिहार-2025’ नाम से एक सर्वे जारी किया है, जो विभिन्न सामाजिक वर्गों के चुनावी रुख को दर्शाता है।
सर्वे में पाया गया है कि दोनों गठबंधनों के मुख्य वोट बैंक में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा है। यह सर्वे 18 जिलों और 9 प्रशासनिक इकाइयों के इनपुट पर आधारित है।
सामाजिक समीकरणों का विश्लेषण
दलित और अनुसूचित वर्ग (20% आबादी)
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, राज्य का दलित या अनुसूचित वर्ग एनडीए की ओर अधिक झुकाव रखता है। इसके पीछे मुख्य वजह एलजेपी मुखिया चिराग पासवान और हम प्रमुख जीतन राम मांझी का एनडीए में होना है।
- NDA समर्थक: पासवान और मुसहर जैसे प्रमुख दलित उप-समुदाय एनडीए का समर्थन कर सकते हैं।
- महागठबंधन समर्थक: चमार समुदाय (जो लगभग 5% है) पासवान विरोधी भावनाओं के कारण महागठबंधन की तरफ झुक सकता है। साथ ही, उत्तर प्रदेश के चंद्रशेखर रावण की आजाद समाज पार्टी का रुख भी दलित युवाओं के वोट को प्रभावित कर सकता है।
मुस्लिम समुदाय (17% आबादी)
यह समुदाय बड़ी संख्या में महागठबंधन को समर्थन देगा। 2020 में सीमांचल में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी (AIMIM) को वोट करने के कारण इंडिया गठबंधन को नुकसान हुआ था, लेकिन इस बार समुदाय सतर्क है और लोकसभा चुनाव की तर्ज पर महागठबंधन के साथ खड़ा हो सकता है।
- जोखिम: सर्वे चेताता है कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में किसी बड़े मुस्लिम नेता को जगह न मिलने से समुदाय में हल्की नाराजगी है। यदि महागठबंधन इस नाराजगी को दूर करने में चूकता है, तो सीमांचल क्षेत्र में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
अति पिछड़ा वर्ग (EBC) (26% आबादी)
बिहार में सबसे बड़ी आबादी वाला यह वर्ग परंपरागत रूप से एनडीए का समर्थन करता रहा है, और इस बार भी इनके एनडीए के साथ खड़े रहने की संभावना है। हालांकि, महागठबंधन ने EBC को लुभाने के लिए विशेष घोषणापत्र जारी किया है। सर्वे के अनुसार, टिकट बंटवारे में EBC को उनकी संख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व मिलता है या नहीं, यह उनके अंतिम वोट को प्रभावित करेगा।
अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) (25% आबादी)
इस वर्ग का वोट बँटा हुआ दिखता है:
- यादव समुदाय: यह वर्ग आरजेडी का कट्टर समर्थक है और महागठबंधन के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा।
- गैर-यादव ओबीसी: (कोइरी-कुर्मी और कुशवाहा, लगभग 7% आबादी) ये परंपरागत रूप से एनडीए के समर्थक माने जाते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (कुर्मी) और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी (कुशवाहा) का एनडीए में होना इसे मजबूती देगा।
- सर्वे की चेतावनी: कुशवाहा समुदाय लोकसभा चुनावों की तरह महागठबंधन की ओर भी झुक सकता है, जो एनडीए के लिए एक चुनौती होगी।
कुल मिलाकर, सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि आगामी बिहार चुनाव में जीत-हार का फैसला इन्हीं सामाजिक समीकरणों के सटीक बैठान पर निर्भर करेगा।



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