उत्तराखंड में कई गुटों में बंटी कांग्रेस अब चौराहों पर कर रही संघर्ष, 2024 की तैयारी में जुटी भाजपा

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उत्तराखंड में कांग्रेस चौराहे पर खड़ी है, जहां अपना एक साल का कार्यकाल पुष्कर सिंह धामी सरकार 23 मार्च को पूरा करने जा रही है और पूरे राज्य में राज्य की भाजपा सरकार की एक साल की उपलब्धियों को लेकर जगह-जगह जश्न मनाने की तैयारियां पूरे जोरों से चल रही हैं।

वहीं कांग्रेस संगठन राज्य में बिखरा पड़ा है और कांग्रेस पार्टी उत्तराखंड में कई गुटों में बंटी हुई है। कांग्रेस की पंचम विधानसभा में हार को एक साल हो गया है मगर कांग्रेस ने अपनी इस हार से कोई सबक नहीं सीखा और आपसी लड़ाई अब चौराहों पर लड़ी जा रही हैं।

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बजट सत्र में नहीं निभा पाई प्रभावी विपक्ष की भूमिका

विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस पार्टी आपस में ही बिखरी हुई नजर आई, कई मुद्दों को लेकर कांग्रेस राज्य सरकार पर विधानसभा में हावी हो सकती थी मगर आपसी फूट के कारण कांग्रेस बजट सत्र में प्रभावी विपक्ष की भूमिका नहीं निभा पाई। बजट सत्र के दौरान ऐसा लगा कि नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के काबू में कांग्रेस के विधायक नहीं थे वरना यशपाल आर्य के मना करने के बावजूद कांग्रेस के कई विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के सामने जमकर हंगामा किया। सदन के माइक और मेज तोड़ दिए और विधानसभा की महिला अध्यक्ष के ऊपर कागज के गोले फेंके गए। इतना ही नहीं विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी को लेकर कई अशोभनीय टिप्पणियां भी की जिससे सदन में कांग्रेस की किरकिरी हुई।

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एक दिन के लिए निलंबित किए गये कांग्रेस के 15 विधायक

विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी को सदन में मौजूद कांग्रेस के 15 विधायकों को एक दिन के लिए निलंबित करना पड़ा। राज्य में कांग्रेस की कमान प्रदेश अध्यक्ष युवा चेहरा करण माहरा और नेता प्रतिपक्ष भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए दलित नेता यशपाल आर्य के हवाले है। दलबदलू छवि होने के कारण यशपाल आर्य का कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और विधायकों में कोई प्रभाव नहीं है। पिछले दिनों देहरादून में कांग्रेस के जनाधार वाले नेता पूर्व नेता प्रतिपक्ष और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने धरना दिया जिसमें कांग्रेस के 19 विधायकों में से 16 विधायक मौजूद थे। इस समय उत्तराखंड में हरीश रावत कांग्रेस, प्रीतम सिंह कांग्रेस, करण माहरा कांग्रेस, हरक सिंह रावत कांग्रेस और यशपाल आर्य कांग्रेस के बीच बंटी हुई है।