श्रमिकों के कल्याण हेतु सीएम धामी का बड़ा कदम: 10,000 श्रमवीरों को ₹11.50 करोड़ की आर्थिक सहायता DBT से जारी

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देहरादून, 14 अक्टूबर (हि.स.): मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को उत्तराखंड भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए, राज्य के श्रमिकों के कल्याण के लिए 11 करोड़ 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से हस्तांतरित की। इस पहल से लगभग 10,000 श्रमिकों और उनके परिजनों को सीधा लाभ मिला है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार श्रमिकों के सम्मान और कल्याण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।


 

मुख्यमंत्री के प्रमुख निर्देश और लक्ष्य

 

मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को श्रमिकों के पंजीकरण और कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सख्त निर्देश दिए:

  1. मनरेगा श्रमिकों का पंजीकरण: मुख्यमंत्री ने सभी मनरेगा श्रमिकों को शीघ्रतापूर्वक भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अंतर्गत लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जाए और इसमें किसी प्रकार की शिथिलता स्वीकार्य नहीं होगी।
  2. पंजीकरण लक्ष्य: अगले तीन महीनों के भीतर कम से कम 5 से 6 लाख श्रमिकों को बोर्ड के अंतर्गत पंजीकृत करने का लक्ष्य दिया गया है।
  3. जागरूकता अभियान: अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे प्रत्येक श्रमिक तक पहुँच बनाएँ और उन्हें कल्याणकारी योजनाओं की पूरी जानकारी प्रदान करें। योजनाओं की जानकारी पंचायत स्तर तक पहुँचाई जाए और पंजीकरण की प्रक्रिया को अभियान रूप में चलाया जाए।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “श्रमवीरों के कल्याण के लिए संचालित योजनाएं तभी प्रभावी सिद्ध होंगी जब अधिकतम श्रमिक इन योजनाओं से सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। श्रमिकों की मेहनत ही राज्य की प्रगति की वास्तविक नींव है।”

 

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उत्तराखंड का खनन मॉडल बना मिसाल

 

मुख्यमंत्री धामी ने राज्य की नवीन खनन नीति की सराहना करते हुए कहा कि खनन राजस्व में हुई अप्रत्याशित बढ़ोतरी इस बात का प्रमाण है कि नीति प्रभावी, पारदर्शी और सशक्त रूप से लागू की गई है।

  • पारदर्शिता: उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में खनन क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और सख्त निगरानी व्यवस्था के कारण लीकेज या अनियमितता की कोई संभावना नहीं रह गई है।
  • अन्य राज्यों के लिए मॉडल: उन्होंने बताया कि राज्य की यह नीति और कार्यप्रणाली अब अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बन चुकी है। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों के प्रतिनिधि अधिकारी भी यहाँ के खनन मॉडल का अध्ययन कर रहे हैं।
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मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अन्य विभागों में भी ऐसी ही दक्ष, पारदर्शी और परिणामोन्मुख व्यवस्था स्थापित करें, जिससे जनता को वास्तविक लाभ समय पर मिल सके और राज्य के राजस्व में सतत वृद्धि सुनिश्चित हो।

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बैठक में सचिव श्रीधर बाबू अदाकी, अपर सचिव विनीत कुमार व श्रम विभाग एवं बोर्ड के अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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