चारधाम शीतकालीन गद्दीस्थल: ओंकारेश्वर धाम में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, यात्रा का वही पुण्य

खबर शेयर करें -

उत्तराखंड में चारधामों के कपाट बंद होने के बाद अब शीतकालीन गद्दीस्थलों में श्रद्धालुओं की चहल-पहल तेजी से बढ़ गई है। बाबा केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर धाम (ऊखीमठ) में सर्वाधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुँच रहे हैं।

स्कंद पुराण के अनुसार, गद्दीस्थलों की यात्रा का भी वही पुण्य प्राप्त होता है जो चारधाम यात्रा का, लेकिन इन स्थलों तक पहुँचना चारधामों की तुलना में अधिक आसान है और यहाँ स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ भी कम होती हैं।


❄️ चारधाम के शीतकालीन गद्दीस्थल

धाम शीतकालीन गद्दीस्थल स्थान
भगवान बदरी विशाल योग-ध्यान बदरी मंदिर और नृसिंह मंदिर चमोली जिले के पांडुकेश्वर व ज्योतिर्मठ
भगवान केदारनाथ ओंकारेश्वर मंदिर रुद्रप्रयाग जिले का ऊखीमठ
मां गंगा गंगा मंदिर मुखवा (मुखीमठ) उत्तरकाशी जिला
देवी यमुना यमुना मंदिर खरसाली (खुशीमठ) उत्तरकाशी जिला
यह भी पढ़ें 👉  किच्छा: घर के बाहर बैठी महिला को बेकाबू कार ने मारी टक्कर, गंभीर घायल; CCTV फुटेज वायरल

📈 शीतकालीन दर्शन को पहुँचे श्रद्धालु (7 दिसंबर तक)

धाम का गद्दीस्थल कुल श्रद्धालु
ओंकारेश्वर मंदिर (केदारनाथ) 21,700
गंगा मंदिर (गंगोत्री) 2,390
नृसिंह मंदिर (बदरीनाथ) 900
यमुना मंदिर (यमुनोत्री) 458
योग-ध्यान बदरी मंदिर (बदरीनाथ) 295

📍 प्रमुख गद्दीस्थलों का विवरण

मंदिर का नाम ऊंचाई (लगभग) मुख्य विशेषता पास के पर्यटक स्थल
ओंकारेश्वर मंदिर (ऊखीमठ) 4,300 फीट भगवान केदारनाथ और बाबा मध्यमेश्वर का शीतकालीन गद्दीस्थल; धारत्तुर परकोटा शैली में निर्मित। गुप्तकाशी, त्रियुगीनारायण, कालीमठ।
योग-ध्यान बदरी मंदिर 6,298 फीट बदरी विशाल के प्रतिनिधि उद्धवजी व कुबेरजी की पूजा; सप्त बदरी मंदिरों में से एक। नृसिंह मंदिर, औली।
नृसिंह मंदिर (ज्योतिर्मठ) 6,150 फीट आदि शंकराचार्य की गद्दी और गरुड़जी की पूजा; राजा ललितादित्य द्वारा निर्मित। औली (विश्व प्रसिद्ध स्कीइंग स्थल), आदि बदरी, कल्पेश्वर धाम।
गंगा मंदिर (मुखवा) 8,528 फीट गंगा का मायका; भागीरथी नदी के किनारे; देवदार के घने जंगल। हर्षिल, बगोरी, लामा टाप।
यमुना मंदिर (खरसाली) 8,200 फीट यमुना का मायका; यमुना के भाई शनिदेव का 800 वर्ष पुराना मंदिर। बर्फबारी का आनंद उठाने के लिए प्रसिद्ध। बड़कोट स्थित पौराणिक शिव मंदिर, गंगानी कुंड।
यह भी पढ़ें 👉  लालकुआँ को जल्द मिलेगी जाम से मुक्ति: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बाईपास निर्माण को दी सैद्धांतिक मंजूरी

🍽️ खाने-ठहरने और पहुँचने के इंतजाम

  • आवास: सभी गद्दीस्थलों पर होटल, धर्मशाला व होम स्टे की पर्याप्त व्यवस्था है।

  • पारंपरिक भोजन: होम स्टे में आलू के गुटखे, मंडुवा/फाफरा/चौलाई की रोटी, झंगोरे का भात/खीर, गहत की दाल व फाणू आदि पारंपरिक पहाड़ी व्यंजनों का जायका लिया जा सकता है।

  • पहुँच मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। सभी पड़ाव सीधे मोटर मार्ग से जुड़े हैं, जहाँ सार्वजनिक व निजी वाहनों से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

  • सावधानियाँ: गद्दीस्थलों में कड़ाके की ठंड और जमकर बर्फबारी होती है, इसलिए गर्म कपड़े और जरूरी दवाइयाँ साथ लेकर आएं।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों में घना कोहरा और ठंड का प्रकोप, यातायात प्रभावित

क्या आप इनमें से किसी विशिष्ट गद्दीस्थल के बारे में अधिक जानकारी जानना चाहेंगे?